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नवजातों को चूहों ने बनाया निशाना

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इंदौर एमवाय अस्पताल में चौंकाने वाला खुलासा – लापरवाही की भेंट चढ़े नवजात

इंदौर के एमवाय अस्पताल में लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में चूहों द्वारा कुतरे जाने के बाद दो नवजात बच्चियों की मौत की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। अब इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

परिजनों का कहना है कि अस्पताल में साफ-सफाई और निगरानी की स्थिति बेहद खराब है। रात के समय वार्ड में न तो पर्याप्त स्टाफ मौजूद रहता है और न ही सुरक्षात्मक इंतज़ाम। घटना के बाद परिवारों में गुस्सा है और प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एनआईसीयू वार्ड में पूरी रात चूहे घूमते रहे और नवजात शिशुओं के हाथ-पैर तक घायल हो गए। सबसे गंभीर बात यह रही कि यह घटनाक्रम कई घंटों तक चलता रहा, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ को इसकी भनक तक नहीं लगी।

पशु विशेषज्ञों का कहना है कि चूहा बेहद तेज़-तर्रार और चंचल जीव है, लेकिन वह एक ही जगह टिककर तुरंत गंभीर नुकसान नहीं पहुँचा सकता। डॉक्टरों के अनुसार, नवजातों की चार अंगुलियों को इस तरह से कुतरने में चूहे को एक-दो मिनट नहीं, बल्कि लगभग छह से आठ घंटे का समय लगा होगा।
यह बयान अस्पताल की सुरक्षा और निगरानी प्रणाली पर और भी बड़े सवाल खड़े करता है, क्योंकि इतने लंबे समय तक वार्ड में किसी ने इस दर्दनाक घटनाक्रम पर ध्यान नहीं दिया।

जानकारों का मानना है कि इस घटना के दौरान चूहा वार्ड में लगे इंक्यूबेटर में कई बार अंदर-बाहर गया होगा। इतनी हलचल होने के बावजूद नर्सिंग स्टाफ या ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों की नज़र नवजातों पर नहीं पड़ी। अगर उस समय निगरानी रखी जाती, तो मासूम बच्चों की उंगलियां सुरक्षित रह सकती थीं और यह दर्दनाक हादसा टल सकता था।
यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर नवजात गहन चिकित्सा इकाई में छह से आठ घंटे तक चलती रही इस घटना से किसी को कैसे खबर नहीं हुई।

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एमवाय अस्पताल में दो दिन तक जारी रही लापरवाही, नवजातों को फिर बनाया चूहों ने निशाना

इंदौर के एमवाय अस्पताल में लापरवाही का सिलसिला लगातार उजागर हो रहा है। 30 और 31 अगस्त को धार जिले के रूपापाड़ा और देवास जिले के कमलापुर से आए परिवारों की नवजात बच्चियां चूहों का शिकार बनीं। पहले दिन धार जिले की बच्ची की चारों अंगुलियां चूहों ने कुतर डालीं, लेकिन इस गंभीर घटना पर न तो स्टाफ ने ध्यान दिया और न ही सुरक्षा इंतज़ाम बढ़ाए।

घटना को छिपाने के लिए बच्ची के घाव पर केवल पट्टी बांध दी गई, मानो उसे लावारिस मान लिया गया हो। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पहले दिन की त्रासदी के बाद भी न तो डॉक्टरों ने और न ही नर्सिंग स्टाफ ने सतर्कता दिखाई। अगले दिन भी वही लापरवाही जारी रही और दूसरी नवजात बच्ची को भी चूहों ने घायल कर दिया।

एमवाय अस्पताल में निगरानी पर सवाल – चूहों ने पूरी रात नवजातों को बनाया निशाना

 बताया जाता है कि रातभर चूहे वार्ड में घूमते रहे, लेकिन इस दौरान कोई भी स्टाफ वार्ड के अंदर राउंड लेने नहीं पहुँचा। नतीजा यह हुआ कि नवजात बच्चों की उंगलियां लगातार घायल होती रहीं।

महू वेटरनरी अस्पताल और निजी संस्थानों के विशेषज्ञों का कहना है कि चूहा एक बार में पूरी उंगली कुतर नहीं सकता। उसकी आदत होती है थोड़ी देर कुतरने के बाद दूसरी जगह जाना और फिर वापस लौटकर वहीं दोबारा कुतरना। इस प्रक्रिया को देखते हुए यह स्पष्ट है कि घटना लंबे समय तक चलती रही, मगर स्टाफ की लापरवाही के कारण किसी ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया।

नवजातों की चीखों के बीच भी अनजान रहा स्टाफ, विशेषज्ञों ने बताई चूहों की आदतें

एमवाय अस्पताल में चूहों के हमले के दौरान मासूम नवजात दर्द से रोते रहे होंगे, लेकिन वार्ड में मौजूद स्टाफ को इसकी भनक तक नहीं लगी। विशेषज्ञों का कहना है कि चूहा किसी वस्तु या अंग को लगातार लंबे समय तक नहीं कुतरता। वह थोड़ी देर तक कुतरने के बाद रुक जाता है और फिर कुछ समय बाद वापस लौटकर उसी स्थान पर हमला करता है।

इस व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि घटना कई घंटों तक चलती रही होगी, लेकिन इसके बावजूद न तो डॉक्टर और न ही नर्सिंग स्टाफ ने बच्चों की ओर ध्यान दिया। यह स्थिति अस्पताल की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।


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