collapse
...

  • भारत ने पिछले वर्षों में रूस से सस्ते दर पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब कई देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया, भारत ने अपनी खरीद में भारी वृद्धि की—वित्त वर्ष 2020 में रूस से 1.7% तेल आयात होता था, जो 2025 में 35.1% तक पहुंच गया।

  • हालांकि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें अभी भी 95 से 104रुपए/लीटर के बीच हैं। आम आदमी को इसकी सीधी राहत नहीं मिली।

  • img-20250813-103122.jpg

 

तेल कंपनियों की रिकॉर्ड कमाई

  • सरकार और निजी तेल कंपनियों (रिलायंस, नायरा, इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, आदि) ने सस्ते रूसी तेल से जबरदस्त मुनाफा कमाया है।

  • वित्त वर्ष 2023-24 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का कुल मुनाफा 86,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 25 गुना अधिक है।

  • सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के मुनाफे में गिरावट के बजाय जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है।

  • img-20250813-103105.jpg

सरकार की टैक्स नीति और आम जनता पर असर

  • सरकार ने कच्चे तेल और फ्यूल पर भारी टैक्स वसूला: कुल मिलाकर 2023-24 में केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोलियम क्षेत्र से कर राजस्व में 7.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मिला।

  • केंद्र सरकार पेट्रोल/डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और स्टेट सरकारें VAT/Sales Tax वसूलती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार 46% तक टैक्स वसूल रही है।

  • विंडफॉल टैक्स जैसी नीतियों से भी सरकार ने करोड़ों की कमाई की।

  • जनता को इसका कोई सीधा फायदा नहीं, क्योंकि पेट्रोल/डीजल की कीमतें नियंत्रित तौर पर वही बनी रही।

 

निष्कर्ष

  • रूस से सस्ता तेल खरीदने का लाभ मुख्यतः सरकार व तेल कंपनियों तक सीमित रहा।

  • आम आदमी को न तो रिटेल प्राइस में कमी मिली, न ही परिवहन व ईंधन लागत में राहत।

  • बड़ी तेल कंपनियों के मुनाफे में रिकॉर्ड 25 गुना तक की बढ़ोतरी आई, सरकार ने लाखों करोड़ का टैक्स वसूला, आम आदमी की जेब पर फर्क नहीं पड़ा।

  •  

यही कारण है कि जनता को सस्ते तेल का कोई खास फायदा नहीं पहुंचा, जबकि कंपनियां और सरकार समृद्ध हुईं।


Share: