collapse
...

फिर 'कश्मीर फाइल्स' ने बदल दी किस्मत

darshan-kumar.jpg

‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ से प्रसिद्धि पाने वाले दर्शन कुमार ने अपने संघर्षों से भरे सफर को पार करते हुए इंडस्ट्री में सफलता हासिल की। शुरुआत में कई मुश्किलों का सामना किया, जैसे ऑडिशन में जूता टूटना और घर नंगे पैर लौटना। करीब दस साल की मेहनत के बाद, पिता के समर्थन से उन्होंने फिर से वापसी की और प्रियंका चोपड़ा, अनुष्का शर्मा जैसी स्टार्स के साथ काम किया। आज दर्शन अपनी संघर्षपूर्ण यात्रा को लेकर प्रेरणा देते हैं।

170425-zcfrodeuky-1645437154.jpeg

बचपन से ही हर क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर

मैं दिल्ली के महरौली इलाके का रहने वाला हूँ, जो कुतुबमीनार के लिए जाना जाता है। मेरा बचपन यहीं की गलियों में बीता और मेरी पढ़ाई भी वहीं हुई। स्कूल के दिनों में एक बार पीटी क्लास में ड्रम बजाने का मौका मिला, और शायद भाग्य से मेरा प्रदर्शन इतना अच्छा रहा कि मेरे टीचर ने मुझसे कहा कि अब रोज यही करना। इससे मुझे स्टेज पर काम करने की आदत लग गई।

मैं हमेशा पढ़ाई और प्रतियोगिताओं में आगे रहने की कोशिश करता था। स्कूल में केवल टॉप करना ही मेरा मकसद नहीं था, बल्कि बेहतर परिणाम लाकर कई बार ट्रॉफी भी जीती।

पढ़ाई के साथ-साथ मैंने जूडो, पहलवानी, बॉक्सिंग सहित कई खेलों में भी हाथ आजमाया और अच्छा प्रदर्शन किया। इसके पीछे मेरी मां का सबसे बड़ा योगदान है। खासकर बॉक्सिंग में, मैंने अपने स्कूल और कॉलेज के लिए राष्ट्रीय स्तर तक खेला और वहां भी कई ट्रॉफियां जीतीं।

स्कूल के वक्त ही थिएटर की दुनिया से जुड़ाव

अक्सर बच्चे कविता पढ़ते हैं, लेकिन मैं स्टेज पर कविताओं का प्रदर्शन करता था। इसी वजह से कई लोगों ने कहा कि मेरे अंदर एक्टिंग का हुनर है और मुझे इसे आगे बढ़ाना चाहिए। एक्टिंग का जुनून तो था ही, इसलिए मैंने दिल्ली के मंडी हाउस में एक छोटे थिएटर ग्रुप से जुड़ने का फैसला किया। वहीं मेरी मुलाकात पीयूष मिश्रा जी से हुई।

मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं कि उनके साथ मुझे ‘गैलीलियो’ नाम के एक नाटक में काम करने का मौका मिला। इसके बाद मैंने कुछ और नाटकों में भी हिस्सा लिया, ये सब कॉलेज से पहले की बातें हैं। कुछ नाटकों के बाद पीयूष मिश्रा जी ने मुझे बताया कि वे मुंबई जा रहे हैं।

तब मैंने उनसे मदद मांगी कि मैं एक्टिंग के लिए क्या करूं। उन्होंने सुझाव दिया कि मैं एनके शर्मा के ग्रुप को जॉइन कर लूं। मैंने उनका सुझाव मान लिया और एक महीने के भीतर ही प्ले में मुख्य भूमिका निभाने लगा।

एनके शर्मा के ग्रुप से जुड़ते समय मेरी बोलचाल में थोड़ी दिक्कत थी क्योंकि हरियाणवी में 'औ' की मात्रा नहीं होती, जिससे मैं कई शब्द गलत बोलता था। एनके शर्मा जी ने मुझे पेट से बोलने की सलाह दी। मैंने मेहनत की और धीरे-धीरे अपनी भाषा पर काबू पाया, यहां तक कि मैं लोगों के लिए डबिंग भी करने लगा।

kashmir-files-actor-darshan-kumar.jpeg

पहली मुलाकात में सतीश कौशिक ने कहा – ‘हीरो मटेरियल हो तुम’

दिल्ली में एक्ट वन थिएटर से जुड़ने के बाद मुझे पता चला कि फिल्म ‘मुझे कुछ कहना है’ के लिए ऑडिशन हो रहा है। उस वक्त मैं स्कूल में था और ऑडिशन का मतलब भी ठीक से नहीं समझता था, इसलिए थोड़ी घबराहट थी। मेरे एक दोस्त ने मुझे साथ ले जाकर वहां पहुंचाया।

जब लाइन में खड़ा था, तो मन में सोच रहा था कि मैं इस मौके का भरपूर फायदा उठा सकता हूँ। ऑडिशन खत्म हुआ और सिर्फ मेरा ही चयन हुआ, मेरे साथ आए दोस्तों में से कोई भी पास नहीं हुआ। इस दौरान पहली बार मेरी मुलाकात सतीश कौशिक से हुई। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बहुत आगे तक पहुंचूंगा।

सतीश कौशिक का साथ मेरे लिए बहुत खास रहा। शूटिंग के दौरान जब मैं अच्छा प्रदर्शन करता था, तो वे मुझे “वन टेक आर्टिस्ट” कहते थे, क्योंकि मैं कई बार एक ही बार में सीन पूरा कर लेता था। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि मैं किसी इवेंट या शो में था, और उन्होंने स्क्रीन पर मुझसे बात करके कहा, “तुम हीरो हो।”

पैसे बचाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलता था

उस समय मेरे लिए ऑटो लेना लक्जरी जैसा था, जैसे मैं किसी महंगी कार में बैठने की सोच रहा हूँ। हर दिन ऑडिशन के लिए बस की भी लागत मैं वहन नहीं कर पाता था। इसलिए, अपने बैग में तस्वीरें रखकर मैं हर दिन कई जगहों पर जाकर रोल की तलाश करता था। कई बार लोगों ने मेरे सामने दरवाजा बंद कर दिया, या मना कर दिया।

दिनभर ऐसा ही चलता रहता था। पैसे बहुत कम थे, और मुझे यह सोचना पड़ता था कि फोटो पर खर्च करूं या रोजाना की ट्रैवल में। कुछ दिनों बाद टी-शर्ट भी बदलनी पड़ती थी क्योंकि दिखावट भी जरूरी थी।

मैं अंधेरी स्टेशन से सबसे सस्ती और अच्छी दिखने वाली टी-शर्ट और जूते खरीदता था। रोजाना ऑडिशन के लिए निकलना होता था, लेकिन बस लेना अक्सर मुमकिन नहीं होता था। वर्सोवा गांव में रहता था, और रोज़ाना लोखंडवाला, जुहू, बांद्रा तक पैदल ही चलता था। कई बार लिफ्ट मांगता, लेकिन कोई मदद नहीं मिलती थी।


जूते नहीं थे तो नंगे पैर चलता था

एक दिन ऑडिशन के लिए फॉर्मल कपड़ों में निकला था, लेकिन वहां पहुंचते-पहुंचते मेरे जूते का सोल निकल गया। फिर भी मैंने ऑडिशन दिया। रात के 9 बज रहे थे, लेकिन पास पैसे नहीं थे कि जूते या चप्पल खरीद सकूं। मोची भी बंद था। हाथ में जूते लेकर नंगे पैर अपने कमरे वापस लौटा।

लेकिन मेरी मेहनत रंग लाई। उसी ऑडिशन से मुझे पहला टीवी शो ‘बाबा ऐसो वर ढूंढो’ मिला। इस शो में मैं और विक्रांत मैसी साथ थे। यह शो छोटे प्लेटफॉर्म पर था, लेकिन लोकप्रियता में बड़े चैनलों के प्रोग्राम से टक्कर ले रहा था। बाद में मैंने ‘छोटी बहू’ में भी काम किया, जो काफी फेमस हुआ।


एक अभिनेता ने मेरे कमरे को नरक बताया

मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, लेकिन एक मशहूर अभिनेता ने मुझे लंबे समय तक मजाकिया अंदाज में कहा कि मैं उन्हें कुछ बना कर खिलाऊं या चाय पिलाऊं। एक दिन मैंने उन्हें अपने वर्सोवा वाले कमरे पर डिनर के लिए बुलाया। उस इलाके में मछली सुखाई जाती थी और रास्ते बहुत संकरे थे।

जब वे आए तो बाहर जाकर उन्हें स्वागत किया। उन्होंने कहा, “तू जब मरेगा तो स्वर्ग जाएगा।” मुझे लगा वे मेरी मेहमाननवाज़ी की वजह से ये कह रहे हैं। मैंने उनसे कहा, पहले मेरा खाना खा लो, फिर बताना।

उन्होंने पलटकर कहा, “पता है क्यों कहा? क्योंकि तू अभी नरक में रह रहा है।” मैंने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि वह जगह मेरे लिए बहुत खास थी। मैं आज जो भी हूं, वह उसी जगह की वजह से हूं।

image-18.png

फिल्म रुकने के बाद एक्टिंग छोड़ने का मन बनाया

कड़ी मेहनत के बावजूद काम नहीं मिल पा रहा था। एक फिल्म के लिए मैंने पूरे एक साल तैयारी की, वजन बढ़ाया, बाल बढ़ाए और उसमें कई रोल निभाने थे। लेकिन फिल्म बन नहीं पाई। इससे मैं काफी निराश हो गया और लगा कि शायद मेरी किस्मत एक्टिंग में साथ नहीं दे रही।

उस वक्त मैंने अपने पिता को बताया कि मैं शायद ऑस्ट्रेलिया चला जाऊं और वहां मेहनत करूं। पिता ने कहा, “तुम्हें खाने-पीने की चिंता मत करनी, मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगा।” उनके समर्थन ने मुझे हिम्मत दी और आज मैं जहाँ हूँ, उनके कारण हूँ।


प्रियंका चोपड़ा के साथ ‘मैरी कॉम’ से मिली सफलता

‘मैरी कॉम’ के लिए मेरा ऑडिशन दिल्ली में हुआ था। डायरेक्टर उमंग कुमार को मेरा प्रदर्शन बहुत पसंद आया और उन्होंने तुरंत कहा कि मैं उनके किरदार के लिए उपयुक्त हूँ। मुझे संजय लीला भंसाली से भी मिलने भेजा गया, जिन्होंने मेरी बात सुनी और संतुष्ट हुए।

फिर मेरी कास्टिंग का फैसला प्रियंका चोपड़ा के साथ फोटोशूट के बाद होना था कि हम एक जोड़े की तरह दिखते हैं या नहीं। एक हफ्ते बाद जिम में मेरी प्रियंका से पहली मुलाकात हुई। मैं उनके सामने सहज नहीं था, क्योंकि वे बड़ी सुपरस्टार थीं और मैं सोच रहा था कि कैसे उनके पति के रूप में सही लगूं।

image-17.png

मेरे किरदारों ने विदेशों में भी मुझे पहचान दिलाई

‘मैरी कॉम’ के बाद मेरा करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंचने लगा। मेरी पहली फिल्म ‘NH10’ थी, लेकिन ‘मैरी कॉम’ पहले रिलीज़ हुई। ‘NH10’ में मैंने विलेन का किरदार निभाया, जिसे दर्शकों और आलोचकों दोनों ने खूब सराहा। इस रोल के लिए मुझे आईफा में बेस्ट निगेटिव रोल का पुरस्कार भी मिला।

इसके बाद मैंने कई बड़ी फिल्मों में काम किया जैसे ‘सरबजीत’, ‘मिर्जा-जूलियट’, ‘ए जेंटलमैन’, ‘बागी 2’, ‘पीएम नरेंद्र मोदी’, ‘तूफान’, ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’। ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लिए मुझे फिल्मफेयर में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टिंग के लिए नामांकन भी मिला।

मैंने ओटीटी पर भी अपने हुनर का परिचय दिया। हिट वेब सीरीज ‘फैमिली मैन’ और ‘आश्रम’ में मेरे काम को खूब सराहा गया। मुझे विदेशों में जाकर एहसास हुआ कि मेरे किरदारों की कितनी लोकप्रियता है।

लंदन में ‘फैमिली मैन’ की शूटिंग के दौरान एक बार ब्रेक पर मैं अपने साथियों के साथ कॉफी शॉप गया। जब बिल देने के लिए अपना कार्ड दिया, तो वहां के कर्मचारी ने कहा, “मेजर समीर, हम उजागर सिंह से पैसे कैसे ले सकते हैं?” ये दोनों नाम मेरी वेब सीरीज के किरदार थे। इस तरह का प्यार मिलना मेरे लिए शब्दों से बढ़कर था—यह सम्मान किसी भी पुरस्कार से कहीं ज्यादा मायने रखता है।


Share: