चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने 1962 के भारत-चीन युद्ध पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि उस समय वायुसेना (Air Force) के उपयोग की अनुमति नहीं दी गई, जबकि इसके इस्तेमाल से चीनी आक्रमण को काफी हद तक कमजोर किया जा सकता था।CDS चौहान यह बात पुणे में स्वर्गीय लेफ्टिनेंट जनरल एस पी पी थोराट की संशोधित आत्मकथा - 'रेवेइल टू रिट्रीट' के विमोचन समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होते हुए कह रहे थे।उन्होंने आगे कहा कि वायुसेना का उपयोग भारतीय सेना को जल्द पलटवार करने और दुश्मन पर दबाव बनाने का मौका देता। उन्होंने स्वीकार किया कि अब स्थिति बदल चुकी है। पहले वायुसेना का उपयोग तनाव बढ़ाने वाला कदम माना जाता था, जो अब नहीं है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण भी दिया।

सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान के कार्यकाल में विस्तार किया है।केंद्र सरकार ने बुधवार को जनरल चौहान (64) का कार्यकाल आठ महीने बढ़ाकर 30 मई 2026 तक कर दिया है। उनका कार्यकाल पहले 30 सितंबर 2025 को समाप्त होना था। CDS पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष है, जिसे सरकार द्वारा बढ़ाया भी जा सकता है।जनरल चौहान सितंबर 2022 से CDS के साथ-साथ डिपार्टमेंट ऑफ मिलिटरी अफेयर्स (DMA) के सचिव का दायित्व भी संभाल रहे हैं।
प्रमुख योगदान और करियर
- CDS चौहान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) के बीच तालमेल और समन्वय को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उन्होंने सेना में संयुक्त कार्य (Jointness) और रणनीतिक योजना पर भी प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया है।
- जनरल चौहान ने मई 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद यह पदभार संभाला था। वह जनरल बिपिन रावत के निधन के नौ महीने बाद CDS बने थे।
- उनका सैन्य करियर अत्यंत प्रतिष्ठित रहा है; उन्हें 1981 में 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन मिला था और उन्हें जम्मू-कश्मीर तथा उत्तर-पूर्व में आंतरिक सुरक्षा अभियानों का व्यापक अनुभव है।
उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की भूमिका भारतीय सैन्य ढांचे में तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, और वायु सेना) के बीच समन्वय स्थापित करने और रक्षा मामलों में सरकार को सलाह देने के लिए महत्वपूर्ण है।
- प्रमुख सैन्य सलाहकार: CDS रक्षा मंत्रालय के लिए तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करता है। हालांकि, व्यक्तिगत सेना प्रमुख (आर्मी चीफ, नेवी चीफ, एयर चीफ) अभी भी अपनी संबंधित सेवाओं से जुड़े मामलों में सीधे रक्षा मंत्रालय को सलाह देते हैं।
- सेनाओं का प्रमुख नहीं: CDS तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में सलाहकार होता है, लेकिन वह किसी भी सेना का प्रमुख नहीं होता है। तीनों सेना प्रमुख ही अपनी-अपनी सेवाओं की कमान संभालते हैं।
- परमाणु कमान का सलाहकार: भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, इसलिए CDS न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (NCA) के लिए भी सैन्य सलाहकार का दायित्व निभाता है। इस कमांड का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
- रक्षा अधिग्रहण और रसद (लॉजिस्टिक्स) में सुधार: CDS का एक मुख्य काम तीनों सेनाओं की लॉजिस्टिक्स और पूंजीगत अधिग्रहण (Capital Acquisition) की जरूरतों को सुव्यवस्थित करना है, ताकि अनुमानित बजट का प्रभावी ढंग से उपयोग हो सके।
- प्रशासनात्मक शक्ति: पहले के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) के विपरीत, CDS के पास शासनात्मक (Administrative) शक्तियाँ होती हैं।
- एयरोस्पेस और साइबर वारफेयर का प्रभार: CDS एयरोस्पेस कमांड (जिसे 2008 में बेहतर तालमेल के लिए द इंटीग्रेटेड स्पेस सेल के रूप में स्थापित किया गया था) और साइबर वारफेयर डिविजन का भी प्रभार संभालता है।
CDS पद का गठन
CDS पद का गठन वर्षों के अध्ययन और सिफारिशों के बाद किया गया। इसकी आवश्यकता 1999 के कारगिल युद्ध के बाद महसूस हुई थी।
- कारगिल समीक्षा समिति (KRC): कारगिल युद्ध के तुरंत बाद, कृष्णास्वामी सुब्रह्मण्यम के नेतृत्व में कारगिल रिव्यू कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी का काम उन कमियों की समीक्षा करना था जिनके कारण पाकिस्तानी सेना रणनीतिक स्थानों पर कब्जा कर पाई।
- सिफारिशें: KRC ने फरवरी 2000 में संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में युद्ध की शुरुआती प्रतिक्रिया में सुस्ती का जिक्र किया और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सुझाव दिए।
- मंत्रियों का समूह (GoM): KRC की सिफारिशों के बाद, 2001 में गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति की सिफारिश की।
- घोषणा और स्थापना: राजनीतिक और अन्य कारणों से अगले दो दशकों तक यह नियुक्ति नहीं हो सकी। आखिरकार, 15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पद के सृजन की आधिकारिक घोषणा की।