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अविश्वास प्रस्ताव की तलवार से बचाने राज्य सरकार खत्म करेगी अप्रत्यक्ष प्रणाली, अब होगा सीधा चुनाव

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एमपी में बदलेगी निकाय चुनाव की तस्वीर, अध्यक्षों का होगा सीधा चुनाव

मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के चुनाव की व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार अब अप्रत्यक्ष प्रणाली को खत्म कर प्रत्यक्ष चुनाव लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए नगर पालिका अधिनियम की धारा 47 में अध्यादेश के जरिए संशोधन किया जाएगा।
नई व्यवस्था लागू होने पर अध्यक्ष सीधे जनता के वोट से चुने जाएंगे। इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति ही खत्म हो जाएगी। राजनीतिक हलकों में इस कदम को स्थानीय निकाय राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। माना जा रहा है कि वर्ष 2027 में होने वाले चुनाव इसी नई प्रणाली से कराए जाएंगे।

निकाय चुनावों में आएगा बड़ा बदलाव, राइट टू रिकॉल का प्रावधान भी लागू होगा

मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की प्रणाली एक बार फिर बदलने जा रही है। नई व्यवस्था के तहत अध्यक्षों पर राइट टू रिकॉल लागू होगा। इसका मतलब यह है कि यदि तीन-चौथाई पार्षद अविश्वास जताते हैं, तो अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो जाएगी और दोबारा चुनाव कराए जाएंगे।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रदेश में सत्ताधारी दल अपनी सुविधा के अनुसार समय-समय पर चुनाव प्रणाली में बदलाव करते रहे हैं। वर्ष 2019 में कमल नाथ सरकार ने प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली खत्म कर पार्षदों के माध्यम से महापौर और अध्यक्ष चुनने का निर्णय लिया था, लेकिन वह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया। अब सरकार फिर से नई व्यवस्था लाने जा रही है, जिससे निकाय चुनावों की राजनीति में बड़ा असर देखने को मिल सकता है।


कोरोना में अटके निकाय चुनाव, फिर बदली गई चुनाव प्रणाली

मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने निकाय चुनाव पुरानी व्यवस्था से कराने के लिए अध्यादेश तो जारी कर दिया था, लेकिन संशोधन विधेयक विधानसभा से पास नहीं हो पाया। इस बीच कोरोना महामारी आ गई और चुनाव टल गए।
बाद में मई 2022 में निकाय चुनाव हुए, जिसमें महापौर का चुनाव जनता ने सीधे किया, जबकि नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के बीच से करवाया गया। इस व्यवस्था के चलते कई जगहों पर अध्यक्षों को बहुमत बनाए रखने में मुश्किलें आईं और अविश्वास प्रस्ताव आने लगे।
स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने फिर बदलाव किया। अध्यादेश लाकर नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43(क) में संशोधन कर दिया गया। इसके तहत अब अविश्वास प्रस्ताव केवल तब लाया जा सकता है जब अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष पूरा हो जाए।


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