टीईटी को लेकर असमंजस, 2005 से पहले भर्ती हुए शिक्षकों की नौकरी पर संकट
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद प्रदेश के करीब डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक नौकरी संकट में घिर सकते हैं। इनमें वे शिक्षक शामिल हैं जिन्होंने अब तक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास नहीं की है। तय समय सीमा के भीतर परीक्षा पास न करने पर बर्खास्तगी का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लगभग साढ़े चार लाख शिक्षक कार्यरत हैं, जिनके पास डीएलएड या बीएड की डिग्री है। वर्ष 2005 के बाद से भर्ती प्रक्रिया में टीईटी अनिवार्य किया गया था, इसलिए बाद में चयनित अधिकतर शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करके ही नियुक्त हुए हैं
प्रदेश में 2005 से पहले सीधी भर्ती से नियुक्त हुए डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक अब असमंजस की स्थिति में हैं। इन शिक्षकों ने अलग से पात्रता परीक्षा नहीं दी थी और उनका कहना है कि नियुक्ति उस समय के विभागीय नियमों के अनुसार हुई थी। शिक्षकों का तर्क है कि यदि बिना परीक्षा भर्ती हुई थी तो उसकी जिम्मेदारी विभाग की है। वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि परीक्षा कराने का निर्णय शासन स्तर पर लिया जाएगा। यदि आदेश हुआ तो इन शिक्षकों को नियमित टीईटी परीक्षा में शामिल होना होगा और सफल अभ्यर्थियों को ही नियमित किया जाएगा। गौरतलब है कि 2011 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने के बाद से शिक्षक बनने के लिए टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया गया है