भारत ने बुधवार देर रात को रेल पर बने मोबाइल लॉन्चर सिस्टम का उपयोग करके अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। मिसाइल को एक कैनिस्टराइज्ड लॉन्चिंग सिस्टम के माध्यम से दागा गया।इस विशेष परीक्षण के लिए एक विशेष ट्रेन को डिजाइन किया गया था। इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देश के किसी भी रेल लाइन वाले क्षेत्र से मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वपूर्ण परीक्षण की जानकारी साझा की। यह टेस्ट ओडिशा में चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया।इस सफलता के साथ, भारत अब दुनिया के उन गिने-चुने देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास अपने रेल नेटवर्क का उपयोग करके मिसाइलें लॉन्च करने की क्षमता है। भारत से पहले, रूस, चीन और उत्तर कोरिया इस तरह के मोबाइल रेल लॉन्चर सिस्टम का परीक्षण कर चुके हैं। हालाँकि, अमेरिका के पास भी यह क्षमता होने की अटकलें हैं, लेकिन उसने कभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।अग्नि-प्राइम मिसाइल को 2000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता के लिए डिजाइन किया गया है और यह कई एडवांस्ड फीचर्स से लैस है।


रेल-आधारित लॉन्चर की विशेषता
राजनाथ सिंह के अनुसार, यह विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर अपनी तरह का पहला सिस्टम है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह देश के हर तरह के रेल नेटवर्क पर कुशलता से काम कर सकता है।यह प्रणाली सेना को एक रणनीतिक लाभ देती है, जिसके तहत वे रात के अंधेरे और धुंध भरे मौसम में भी मिसाइल को बहुत कम समय में लॉन्च कर सकते हैं। यह तेजी और गतिशीलता इसे अत्यधिक प्रभावी बनाती है।
कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम क्या है?
कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम मिसाइल लॉन्च करने की एक उन्नत (मॉडर्न) तकनीक है। यह प्रणाली मिसाइल की सुरक्षा, गतिशीलता और तुरंत इस्तेमाल की क्षमता को बढ़ाती है।
- सुरक्षा और रखरखाव: इसमें मिसाइल को एक मज़बूत धातु के कंटेनर (कैनिस्टर) के अंदर सील करके रखा जाता है। यह कंटेनर मिसाइल को नमी, धूल, और खराब मौसम जैसे विपरीत बाहरी हालातों से सुरक्षित रखता है, जिससे मिसाइल को बार-बार मेंटेनेन्स की ज़रूरत नहीं पड़ती।
- लॉन्च की तैयारी: मिसाइल को कैनिस्टर से बिना किसी लंबी तैयारी के सीधे दागा जा सकता है।
- गतिशीलता (मोबिलिटी): कैनिस्टर को ट्रक, रेल या मोबाइल लॉन्चर पर आसानी से लादकर देश में कहीं भी ले जाया जा सकता है, जिससे मिसाइल को अचानक कहीं से भी लॉन्च करने की क्षमता मिलती है।
पहचान में कठिनाई: रणनीतिक रूप से, यह दुश्मन के लिए पहचानना बहुत मुश्किल कर देता है कि कौन सा कैनिस्टर मिसाइल ले जा रहा है और कौन नहीं, जिससे मिसाइल की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
अग्नि-प्राइम: भारत की नई पीढ़ी की परमाणु-सक्षम मिसाइल
अग्नि-प्राइम (Agni-P), जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, अग्नि श्रृंखला की एक उन्नत और आधुनिक मिसाइल है।
- पहला परीक्षण: इस मिसाइल का पहला परीक्षण जून 2021 में किया गया था।
- मारक क्षमता: अग्नि-प्राइम की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर है।
- हथियार क्षमता: यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
विशेषताएँ: यह अपनी श्रृंखला की पिछली मिसाइलों की तुलना में वजन में हल्की है और इसे मोबाइल लॉन्चर (जैसे कि हाल ही में इस्तेमाल किया गया रेल-आधारित सिस्टम) से आसानी से लॉन्च किया जा सकता है।
तकनीकी विवरण
अग्नि-प्राइम एक उच्च-तकनीकी मिसाइल है:
- प्रणोदन (Propulsion): यह दो-स्टेज प्रोपल्शन सिस्टम से चलती है और सॉलिड फ्यूल (ठोस ईंधन) पर आधारित है।
- गाइडेंस: इसका गाइडेंस सिस्टम इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स से लैस है, जो इसे सटीक निशाना लगाने में मदद करता है।
टेक्नोलॉजी का समावेश: इसे 4000 किमी रेंज वाली अग्नि-4 और 5000 किमी रेंज वाली अग्नि-5 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों की उन्नत तकनीकों का उपयोग करके तैयार किया गया है।
अग्नि मिसाइल कार्यक्रम का इतिहास
भारत का अग्नि मिसाइल कार्यक्रम एक लंबा सफर तय कर चुका है:
- पहली अग्नि का परीक्षण: अग्नि श्रृंखला की पहली मिसाइल का परीक्षण 1989 में किया गया था।
- शुरुआती रेंज: उस पहली मिसाइल की मारक क्षमता 700 से 900 किलोमीटर के बीच थी, और इसे 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
वर्तमान स्थिति: भारत अब तक अग्नि श्रृंखला की पाँच मिसाइलें लॉन्च कर चुका है, जो देश की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता का मुख्य आधार हैं।
रेल लॉन्चर के अलावा ड्रोन से भी मिसाइल परीक्षण

रेल लॉन्चर सिस्टम से पहले, भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक और महत्वपूर्ण परीक्षण किया था। जुलाई 2025 में, भारत ने ड्रोन से मिसाइल फायर करने का सफल परीक्षण किया था।यह परीक्षण आंध्र प्रदेश में कुरनूल के नेशनल ओपन एरिया टेस्टिंग रेंज में किया गया।
ULPGM-V3 मिसाइल की खासियतें
परीक्षण की गई प्रिसिशन गाइडेड मिसाइल का नाम ULPGM-V3 है, जो इसके पिछले संस्करण ULPGM-V2 का उन्नत रूप है।यह 'स्मार्ट मिसाइल' एक ड्रोन से छोड़ी जाती है और इसे निम्नलिखित क्षमताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है:
- हर मौसम में मारक क्षमता: यह दिन हो या रात, किसी भी मौसम की स्थिति में दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से नष्ट कर सकती है।
- लचीलापन: एक बार लॉन्च होने के बाद भी, इस मिसाइल के टारगेट को बदला जा सकता है, जो युद्धक्षेत्र में सैनिकों को सामरिक लचीलापन प्रदान करता है।
यहाँ वर्ष 2025 में DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) द्वारा किए गए प्रमुख मिसाइल परीक्षणों का एक गैर-कॉपीराइट सारांश दिया गया है:
DRDO के 2025 के प्रमुख मिसाइल परीक्षण
DRDO ने 2025 के शुरुआती महीनों में भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने वाले कई महत्वपूर्ण परीक्षण किए हैं:
VSHORADS (अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली)
- तारीख और स्थान: 1 फरवरी को ITR, चांदीपुर, ओडिशा से तीन परीक्षण किए गए।
- उद्देश्य: यह एक छोटी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है। परीक्षण का उद्देश्य तेज़ गति से उड़ने वाले UAVs (मानवरहित हवाई वाहन) जैसे लक्ष्यों पर इसकी सटीक मारक क्षमता और उच्च संवेदनशीलता को जाँचना था।
MRSAM (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) – आर्मी वर्जन
- तारीख और स्थान: 3–4 अप्रैल को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड, ओडिशा से चार परीक्षण किए गए।
- उद्देश्य: यह मिसाइल विभिन्न दूरी और ऊँचाई पर दुश्मन के हवाई लक्ष्यों को सफलतापूर्वक रोकने (इंटरसेप्ट) के लिए डिज़ाइन की गई है।
अस्त्र BVRAAM (दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल)
- तारीख और स्थान: 11 जुलाई को सुखोई-30MKI लड़ाकू विमान से दो लॉन्च किए गए।
- उद्देश्य: यह एक हवा से हवा में मार करने वाली प्रणाली है जो स्वदेशी RF सीकर (स्वदेशी रूप से विकसित लक्ष्य साधने वाला उपकरण) से लैस है। परीक्षण में तेज गति वाले UAV को सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया।
ET-LDHCM (विस्तारित प्रक्षेपवक्र लंबी अवधि हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल)
- तारीख: 14–16 जुलाई के बीच परीक्षण किया गया।
- क्षमता: यह क्रूज मिसाइल मैक 8 (ध्वनि की गति से लगभग 8 गुना) की गति से उड़ान भर सकती है और इसकी मारक क्षमता 1500 किमी तक है, जो भारत की हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।