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बांधवगढ़ के घने जंगलों में जन्माष्टमी पर खुलता है अनोखा श्रीराम-जानकी मंदिर, हजारों श्रद्धालु करते हैं दर्शन

मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व जहां एक ओर बाघों के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध है, वहीं जन्माष्टमी के दिन यहां एक आध्यात्मिक छटा भी बिखरती है। जंगल के बीच स्थित एक प्राचीन किले में बने श्रीराम-जानकी मंदिर के पट साल में केवल एक बार—जन्माष्टमी के दिन ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं।

इस मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि यहाँ भगवान श्रीराम को "कान्हा" के रूप में और माता सीता को "राधा" के रूप में पूजा जाता है। यह अनोखी परंपरा बांधवगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक आस्था को एक नया रूप देती है।

15 किलोमीटर की चढ़ाई, आस्था की डगर

ताला गांव से लगभग 15 किलोमीटर लंबा और कठिन पैदल रास्ता तय कर भक्त इस मंदिर तक पहुँचते हैं। इस बार भी सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और दोपहर तक करीब 8,000 लोग मंदिर के दर्शन कर चुके थे। मान्यता है कि कठिन चढ़ाई के बावजूद एक बार भगवान के दर्शन हो जाएं, तो सारी थकान खुद-ब-खुद दूर हो जाती है, और भक्त ऊर्जा से भर जाते हैं। 
 


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