जिस प्रकार बार-बार किसी वस्तु के विज्ञापन से प्रभावित होकर उस वस्तु को पाने का प्रयत्न करते हैं, उसी प्रकार हम बार-बार भगवान की कथा का श्रवण तो करते हैं, लेकिन उसके पास हम जाना ही नहीं चाहते। नारायण तो हमारे लिए अपना धाम छोड़ने को तैयार रहते हैं, लेकिन नर है कि अपना घर छोड़ने को तैयार ही नहीं होता। अत: समय तक वह इस संसार की माया में उलझ