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मेडिसिन पुरस्कार आज; भूख कंट्रोल हार्मोन रिसर्च को मिलने की उम्मीद

इस वर्ष के बहुप्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कारों की घोषणा सोमवार, 6 अक्टूबर से शुरू होकर 13 अक्टूबर तक जारी रहेगी। इन पुरस्कारों की शुरुआत मेडिसिन (चिकित्सा) के नोबेल पुरस्कार के ऐलान के साथ होगी।

मेडिसिन नोबेल की घोषणा

  • किसे दिया जाता है: यह पुरस्कार उन वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिनकी खोज ने चिकित्सा या मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया हो।
  • प्रमुख दावेदार: रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल के चिकित्सा या शरीरक्रिया विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के लिए भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोनों पर किए गए शोध को सबसे प्रमुख दावेदार माना जा रहा है।

समय और पुरस्कार राशि

  • घोषणा समय: पुरस्कार का ऐलान स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट से आज दोपहर करीब 3:00 बजे (IST) होगा।
  • पुरस्कार मूल्य: विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (जो लगभग 9 करोड़ भारतीय रुपये के बराबर है), एक सोने का मेडल और एक सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा।
  • वितरण समारोह: ये पुरस्कार औपचारिक रूप से 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में प्रदान किए जाएंगे।

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घोषणा की प्रक्रिया

नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल कमेटी द्वारा किया जाता है।

  1. कमेटी के 5 सदस्य पहले हजारों नामांकनों की गहन जांच करते हैं।
  2. इसके बाद, कमेटी के सेक्रेटरी थॉमस पर्लमैन विजेताओं को व्यक्तिगत रूप से फोन पर सूचित करते हैं।
  3. अंत में, सार्वजनिक रूप से पुरस्कार का ऐलान किया जाता है।

आप इस ऐलान को nobelprize.org की वेबसाइट, यूट्यूब, या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव देख सकते हैं।

GLP-1 हार्मोन रिसर्च: नोबेल पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार

विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष के चिकित्सा नोबेल पुरस्कार की दौड़ में ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (GLP-1) नामक हार्मोन पर हुआ शोध सबसे आगे है। यह अनुमान ऐसे समय में लगाया जा रहा है जब दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग मोटापे (Obesity) की समस्या से जूझ रहे हैं।

GLP-1 रिसर्च का महत्व

GLP-1 हार्मोन पर हुई खोज का सामाजिक और चिकित्सीय महत्व बहुत बड़ा है। इस रिसर्च ने वैश्विक स्तर पर मोटापे और मधुमेह (Diabetes) से निपटने के लिए जीवन-परिवर्तनकारी दवाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।

  • प्रमुख दवाएँ: इस रिसर्च पर आधारित दवाओं में ओजेम्पिक (Ozempic), वेगोवी (Wegovy), और मौनजारो (Mounjaro) जैसी दवाएँ शामिल हैं।
  • कार्य: ये दवाएँ GLP-1 हार्मोन की क्रिया की नकल करती हैं, जो भूख को नियंत्रित करने और रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करता है।

चूंकि यह खोज सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाली साबित हुई है, इसलिए इसे चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान यानी नोबेल पुरस्कार मिलने की प्रबल संभावना है।

ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (GLP-1) पर हुए व्यापक शोध में कई वैज्ञानिकों का योगदान रहा है, जिससे यह अनुमान लगाना कठिन है कि इस वर्ष यह प्रतिष्ठित पुरस्कार वास्तव में किसे मिलेगा। हालांकि, कुछ नामों पर अक्सर अटकलें लगाई जाती हैं, जो इस खोज की नींव रखने के लिए जाने जाते हैं:

  • जेन्स जुल होल्स्ट (Jens Juul Holst): डेनिश चिकित्सक।
  • जोएल हैबेनर (Joel Habener): हार्वर्ड में चिकित्सा के प्रोफेसर।
  • डैनियल ड्रकर (Daniel Drucker): कनाडाई एंडोक्रिनोलॉजिस्ट।
  • स्वेतलाना मोजसोव (Svetlana Mojsov): यूगोस्लाविया में जन्मी अमेरिकी रसायनज्ञ।

इसके अलावा, भूख को बढ़ाने वाले हार्मोन 'घ्रेलिन' पर शोध करने वाले जापानी शोधकर्ता केंजी कांगावा  और मासायासु कोजिमा को भी नोबेल पुरस्कार मिलने की संभावना बताई जा रही है।

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पिछले वर्ष का नोबेल: माइक्रो RNA की खोज

नोबेल पुरस्कार की प्रक्रिया और महत्व को समझने के लिए, पिछले वर्ष के विजेताओं को जानना उपयोगी है:

2024 मेडिसिन नोबेल विजेता

वर्ष 2024 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार विक्टर एम्ब्रोस  और गैरी रुवकुन  को संयुक्त रूप से दिया गया था।

खोज का महत्व: माइक्रो RNA

उन्हें यह पुरस्कार माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए मिला था।

  • कार्यप्रणाली: माइक्रो RNA कोशिकाओं के निर्माण और कार्य करने के तरीके को समझने में मदद करता है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: इन दोनों जीन वैज्ञानिकों ने 1993 में माइक्रो RNA की खोज की थी।
  • संरचना: मनुष्य का जीन DNA और RNA से मिलकर बना होता है, और माइक्रो RNA मूल RNA का ही एक हिस्सा होता है।
  • विकास: यह संरचना पिछले 50 करोड़ सालों से बहु-कोशिकीय जीवों के जीनोम में विकसित हुई है। आज तक, इंसानों में एक हजार से अधिक अलग-अलग तरह के माइक्रो RNA जीन की खोज हो चुकी है।

यह खोज आनुवांशिकी  और कोशिका जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक मौलिक उपलब्धि थी।

नोबेल पुरस्कारों की स्थापना

नोबेल पुरस्कारों की स्थापना प्रसिद्ध वैज्ञानिक और आविष्कारक अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल ने अपनी वसीयत के आधार पर 1895 में की थी। हालांकि, इन पुरस्कारों को पहली बार 1901 में प्रदान किया गया।

  • शुरुआती क्षेत्र: शुरुआत में, यह सम्मान केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही दिया जाता था। बाद में, इकोनॉमिक्स के क्षेत्र को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
  • मेडिसिन के आंकड़े: वर्ष 1901 से 2024 तक, मेडिसिन (चिकित्सा) के क्षेत्र में 229 लोगों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
  • गोपनीयता नियम: नोबेल प्राइज की वेबसाइट के अनुसार, किसी भी क्षेत्र में नोबेल के लिए नामित होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं।

मेडिसिन में भारतीय मूल के वैज्ञानिक का योगदान

मेडिसिन के क्षेत्र में भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।

  • पुरस्कार वर्ष: उन्हें यह सम्मान 1968 में प्रदान किया गया था।
  • खोज: खुराना को उनकी जेनेटिक कोड से जुड़ी खोज के लिए सम्मानित किया गया, जिसने यह समझाया कि हमारे शरीर में प्रोटीन कैसे बनते हैं।
  • प्रभाव: यह खोज चिकित्सा की दुनिया में एक मील का पत्थर साबित हुई। इसने जेनेटिक इंजीनियरिंग, कैंसर अनुसंधान और नई दवाओं के विकास का रास्ता खोला, क्योंकि इसने स्पष्ट किया कि डीएनए (DNA) कैसे शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।

 भारत से जुड़े कुल 12 लोग नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं, लेकिन चिकित्सा के क्षेत्र में यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड पाने वाले हरगोविंद खुराना एकमात्र व्यक्ति हैं।

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