प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की जापान यात्रा के बाद शनिवार को चीन के तियानजिन पहुंचे हैं, जहां वे 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यह उनकी सात वर्षों बाद पहली चीन यात्रा है।SCO समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ पुतिन के दिसंबर में भारत दौरे के कार्यक्रम पर चर्चा होगी। इस समिट में 20 से अधिक देशों के नेता भाग लेंगे।यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक व्यापार में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के प्रभावों के बीच भारत, चीन और रूस की भूमिकाएं चर्चा में हैं। ट्रंप ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैक्स और चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जिससे वैश्विक व्यापार पर प्रभाव पड़ा है।

भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधारों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा महत्व रखती है और इसे SCO के तहत सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। SCO सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करता है, जिसमें भारत की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तियानजिन स्थित एक होटल में पहुंचने पर वहां मौजूद भारतीय समुदाय ने उनका उत्साहपूर्ण स्वागत किया। इस दौरान भारतीय प्रवासियों ने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के जयकारे लगाए।
इसके अतिरिक्त, चीनी कलाकारों ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य का खूबसूरत प्रदर्शन प्रस्तुत किया। ये कलाकार कई वर्षों से भारतीय शास्त्रीय कला का अभ्यास कर रहे हैं और उन्होंने इस अवसर पर अपनी कला से सभी का मन मोह लिया।

प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा महत्वपूर्ण है
प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और द्विपक्षीय संवाद को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस यात्रा के माध्यम से चीन यह संदेश देने की कोशिश करेगा कि वह अमेरिका के नेतृत्व वाले वैश्विक व्यवस्था के विकल्प के रूप में खुद को प्रस्तुत कर सकता है।
इस समिट से यह भी स्पष्ट संकेत मिलेगा कि चीन, रूस, ईरान और भारत को अलग-थलग करने की अमेरिकी कोशिशें असफल रही हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि जून 2025 में किंगदाओ में हुई SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया था क्योंकि उस बयान में अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमला का उल्लेख नहीं था।
अब इस SCO शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाया जा सकता है, जहां भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए अन्य सदस्य देशों का समर्थन हासिल करने का प्रयास करेगा। इसके अलावा, पाकिस्तान भी SCO का सदस्य होने के कारण इस विषय पर चर्चा और कूटनीतिक गतिरोध की संभावनाएं बनी हुई हैं।

- गलवान संघर्ष के बाद मोदी की पहली चीन यात्रा-5साल पहले भारत और चीन की सीमाओं पर हुई टकराव के बाद यह मोदी का पहला चीन दौरा है। इसी कारण इस शिखर सम्मेलन और मोदी-जिनपिंग की बातचीत पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं।
- ट्रम्प की उच्च टैरिफ नीति और SCO देशों पर प्रभाव-अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत पर 50%, चीन पर 30%, और कजाकिस्तान सहित अन्य SCO देशों पर भी ऊंचे टैरिफ लगाए हैं। ऐसे माहौल में ये देश अमेरिकी दबाव के खिलाफ एकजुट होकर साझा मंच पर अपना असर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
- अमेरिका के प्रभुत्व को चैलेंज करने की चीन की रणनीति-चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग इस शिखर सम्मेलन को अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं। वे यह दिखाना चाहते हैं कि चीन रूस, भारत, ईरान जैसे देशों के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण सामरिक विकल्प बन सकता है।
- भारत का प्रमुख मुद्दा -आतंकवाद पर जोर:
जून 2025 में हुई SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया था क्योंकि उसमें पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख नहीं था। अब मुख्य सम्मेलन में भारत आतंकवाद के खिलाफ चर्चा को बढ़ावा देने और अन्य सदस्य देशों से समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करेगा। हालांकि, पाकिस्तान की मौजूदगी के कारण यह विषय खासा विवादित रहेगा। भारत-चीन संबंधों में सुधार-गलवान संघर्ष के बाद पहली बार भारत और चीन के बीच सीमा और व्यापार संबंधों में नरमी देखने को मिली है। दोनों देशों के बीच सीधी हवाई उड़ानें पुनः शुरू हुई हैं, सीमा व्यापार पर बातचीत की गई है, और कैलाश मानसरोवर यात्रा भी फिर से चालू हो गई है। यह संकेत है कि दोनों देशों के रिश्ते सुधरने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
प्रधान मंत्री मोदी और शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात
प्रधान मंत्री मोदी और शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में हुए ब्रिक्स समिट के दौरान हुई थी, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बातचीत भी की थी।इसके दौरान हुई लगभग 50 मिनट की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने यह जाहिर किया कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को दोनों देशों के संबंधों की मजबूती की आधारशिला बताया।