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छात्रों ने CRPF की गाड़ी फूंकी, राज्य के दर्जे की मांग पर सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल

लेह में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और पुलिस से उनकी झड़प हुई है, जिसमें उन्होंने CRPF की गाड़ी भी जलाई है। यह प्रदर्शन सोनम वांगचुक के समर्थन में हो रहा है, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं।ये प्रदर्शनकारी लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, जैसा कि भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में है। उनकी मुख्य मांगों में लद्दाख के लोगों के लिए जमीन और नौकरी का अधिकार सुनिश्चित करना भी शामिल है। यह विरोध तब शुरू हुआ जब उनकी मांगों को लेकर सरकार के साथ हुई बातचीत विफल हो गई।2019 में जब अनुच्छेद 370 और 35A को हटाया गया, तब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। उस समय सरकार ने हालात सामान्य होने पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था। प्रदर्शनकारी अब इसी वादे को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।

मुख्य मांगें

  • पूर्ण राज्य का दर्जा: प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना है।
  • छठी अनुसूची में शामिल करना: वे चाहते हैं कि लद्दाख को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल किया जाए, जो जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान देता है।
  • स्थानीय लोगों के लिए नौकरी और जमीन का संरक्षण: वे लद्दाख के स्थानीय लोगों के लिए नौकरी और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार सुनिश्चित करना चाहते हैं।
  • सोनम वांगचुक का समर्थन: यह आंदोलन सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल के समर्थन में हो रहा है, जो इन मांगों को लेकर पिछले 15 दिनों से अनशन पर हैं।

    घटनाक्रम

  • प्रदर्शन और बंद: वांगचुक के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने इन मांगों के लिए लेह में बंद का आह्वान किया।
  • हिंसक झड़प: प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जिसमें छात्रों ने पुलिस पर पथराव किया और CRPF की एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया।
  • बातचीत: गृह मंत्रालय लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहा है और अगली बैठक 6 अक्टूबर को नई दिल्ली में होने वाली है।
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2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसे पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटा गया।इस फैसले के बाद, लेह और कारगिल के लोग खुद को राजनीतिक रूप से अलग-थलग महसूस करने लगे। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी। पिछले दो वर्षों से, लोग लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी जमीन, नौकरियों और विशिष्ट पहचान को बनाए रखने के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें पहले अनुच्छेद 370 के तहत मिली हुई थी।

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