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राहुल गांधी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने भारत के चुनावी सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। राहुल का कहना है कि देश का लोकतांत्रिक ढांचा अब निष्पक्ष नहीं रहा। उनके मुताबिक, अगर लोकसभा चुनावों में करीब 15 सीटों पर गड़बड़ी न होती, तो आज देश के प्रधानमंत्री कोई और होते। उन्होंने सीधे तौर पर चुनावी धांधली का आरोप लगाते हुए कहा कि अब चुनाव, जनता की आवाज नहीं बल्कि मैनेजमेंट का खेल बन गए हैं। क्या

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीते दस दिनों में तीसरी बार भारत के चुनाव आयोग और चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित लीगल कॉन्क्लेव 2025 के मंच से उन्होंने साफ कहा,
"भारत का इलेक्शन सिस्टम अब मर चुका है।"

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राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी जल्द ही ऐसे सबूत देश के सामने रखेगी जो यह दिखाएंगे कि लोकसभा चुनावों में किस तरह से धांधली की गई — और यह भी कि यह सब किस हद तक सुनियोजित था।

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उनका दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास बहुत कम बहुमत है, और अगर सिर्फ 10-15 सीटों पर गड़बड़ी न होती, तो आज देश के नेतृत्व की तस्वीर बिल्कुल अलग होती।

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राहुल ने इस बात को भी दोहराया कि 2014 से ही उन्हें भारत की चुनाव प्रणाली पर संदेह रहा है, लेकिन अब उनके पास पुख्ता प्रमाण हैं।
"तब मैं बिना सबूत कुछ नहीं कह सकता था, पर अब मैं पूरे आत्मविश्वास से कह सकता हूं कि हमारे पास ऐसे दस्तावेज़ हैं जो पूरे सिस्टम को बेनकाब कर देंगे," उन्होंने कहा।

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राहुल ने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया, जहां लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच एक करोड़ नए वोटर जुड़े। उनका आरोप है कि इनमें से अधिकांश वोट एक ही पार्टी को गए — जिससे सवाल खड़े होते हैं कि मतदाता सूची को कैसे और क्यों बदला गया?

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उन्होंने चुनाव आयोग को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह संस्था अब निष्पक्ष नहीं रही।
“संविधान की रक्षा करने वाली संस्था को मिटा दिया गया है, उस पर कब्जा कर लिया गया है।”

एक और गंभीर आरोप उन्होंने यह लगाया कि चुनाव आयोग जो दस्तावेज देता है, उन्हें स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता।
“अगर सब कुछ पारदर्शी है, तो स्कैन-कॉपी रोकने की जरूरत क्यों?”

इससे पहले, 1 अगस्त को उन्होंने कहा था कि जो लोग आयोग में रहते हुए "वोट चुराने" का काम कर रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
24 जुलाई को भी उन्होंने साफतौर पर कहा था —
"जो अधिकारी सोचते हैं कि वे बच जाएंगे, वो भ्रम में हैं। हम उन्हें बचकर नहीं जाने देंगे।"

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राहुल गांधी के इन बयानों से देशभर में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी अपने दावों को किस तरह साबित करती है और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया क्या होती है।

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