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वो सात आवाज़ें जो कभी राज़ करती थीं दिलों पर राज

90 के दशक के बॉलीवुड के मशहूर गायक

90 के दशक के evergreen गाने आज भी लोगों के दिलों को छू जाते हैं। उस समय के गीत आज भी फैंस के बीच बेहद लोकप्रिय हैं और इन्हें क्लासिक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस दौर में कौन-कौन से गायक थे, जिनकी आवाज़ ने सिनेमा प्रेमियों के दिलों पर अपनी खास छाप छोड़ी थी?

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मन को छू जाने वाले 90s के गीत और उनके आवाज़ के सितारे

नई दिल्ली। "चाहा तो बहुत..." और "तेरे मेरे होंठों पे..." जैसे 90 के दशक के कई गाने आज भी संगीत प्रेमियों की प्लेलिस्ट में जगह बनाए हुए हैं। ये वो नगमे हैं जो समय के साथ और भी खास बनते गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मधुर गानों के पीछे किन गायकों की जादुई आवाज़ थी, जिन्होंने 90s के दौर में पूरे संगीत जगत में अपनी खास पहचान बनाई थी?

आज हम आपको उन 7 मशहूर गायकों से मिलवाने जा रहे हैं, जिनकी आवाज़ 90 के दशक की फिल्मों में छाई रहती थी, लेकिन अब वे लाइमलाइट से दूर हैं और कम ही नजर आते हैं।

बाबला मेहता – 90 के दशक की मखमली आवाज

बाबला मेहता ने फिल्म चांदनी के मशहूर गीत "मितवा" से बॉलीवुड में अपनी गायकी की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने लता मंगेशकर के साथ सुर मिलाए थे। 90 के दशक में उन्हें टॉप प्लेबैक सिंगर्स में गिना जाता था। उनकी आवाज़ को अक्सर महान गायक मुकेश की याद दिलाने वाली बताया जाता था। उन्होंने दिल है कि मानता नहीं, सड़क और चांदनी जैसी कई फिल्मों में अपने गीतों से खास पहचान बनाई। हाल ही में बाबला मेहता का निधन हुआ, जिससे संगीत जगत को एक और बड़ी क्षति पहुंची।

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मिनमिनी ने फिल्म रोजा के मशहूर गीत "दिल है छोटा सा" को अपनी आवाज़ दी थी। शानदार डेब्यू के बाद एक शो के दौरान उन्होंने अपनी आवाज़ खो दी थी। इलाज के बाद उन्होंने साउथ फिल्मों में वापसी की। अब वह कोच्चि में अपने पति के साथ एक म्यूजिकल इंस्टीट्यूट चला रही हैं।

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अनुराधा पौडवाल ने फिल्म आशिकी के गानों से जबरदस्त पहचान बनाई और 90 के दशक की प्रमुख प्लेबैक सिंगर्स में शुमार रहीं। हालांकि समय के साथ फिल्मों से दूरी बनाकर अब वह devotional म्यूज़िक, खासकर भजन गाने में सक्रिय हैं।

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विपिन सचदेवा ने 90 के दशक में सलमान खान के लिए कई गाने गाए और उन्हें एस.पी. बालासुब्रमण्यम के बाद उनकी आवाज़ माना गया। सनम बेवफा, बेटा, जनम और जुनून जैसी फिल्मों में उन्होंने अपनी गायकी से पहचान बनाई। अब वह भजन और भक्ति संगीत तक सीमित हैं।

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अनुपमा देशपांडे ने अपने सिंगिंग डेब्यू में ही फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतकर इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई थी। 90 के दशक में वह टॉप फीमेल सिंगर्स में गिनी जाती थीं और उन्होंने करीब 124 गाने गाए। हालांकि बाद में वह धीरे-धीरे संगीत की दुनिया से दूर हो गईं।

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सारिका कपूर अपनी मधुर आवाज़ के लिए 90 के दशक में जानी जाती थीं। उन्होंने पनाह, लश्कर और काला बाजार जैसी फिल्मों के साथ-साथ ये देश आशिकाना से खास पहचान बनाई। नदीम-श्रवण के साथ भी कई गीतों में काम किया। हालांकि अब वे कहां हैं, इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है।

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बेला सुलाखे ने फिल्म इम्तिहान के गाने "चाहा तो बहुत..." से पहचान बनाई और 90 के दशक में कई फिल्मों जैसे सुहाग, एक ही रास्ता और विजेता में अपनी आवाज़ दी। हालांकि अब वह कहां हैं, इसकी कोई पक्की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।

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