
जॉली LLB 3’ पर विवाद गहराया, कोर्ट ने कलाकारों और निर्देशक को भेजा समन
पुणे की एक अदालत ने अभिनेता अक्षय कुमार, अरशद वारसी और निर्देशक सुभाष कपूर को उनकी आगामी फिल्म ‘जॉली LLB 3’ के सिलसिले में नोटिस जारी किया है।
यह कार्रवाई वकील वाजिद खान बिदकर द्वारा दायर की गई एक याचिका के आधार पर की गई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में भारतीय न्याय प्रणाली और कानूनी पेशे को हास्यास्पद रूप में दर्शाया गया है।
बिदकर का कहना है कि फिल्म में ऐसे दृश्य हैं जो कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं। उन्होंने विशेष रूप से एक सीन पर आपत्ति जताई है जिसमें न्यायाधीशों को 'मामू' कहकर संबोधित किया गया है।
इस मामले में अदालत ने तीनों — अक्षय कुमार, अरशद वारसी और निर्देशक सुभाष कपूर — को 28 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल, लेकिन कोर्ट ने दी थी राहत
‘जॉली एलएलबी 3’ को लेकर यह पहला मौका नहीं है जब फिल्म कानूनी विवादों में घिरी हो। इससे पहले भी इस फिल्म पर आपत्ति जताई जा चुकी है। अजमेर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रभान राठौड़ ने फिल्म के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिसमें कथित तौर पर वकीलों और न्यायपालिका की छवि को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया था।
हालांकि, जून 2025 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए केस को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि फिल्म अभी निर्माणाधीन है, और केवल आशंका के आधार पर उस पर आरोप नहीं लगाए जा सकते।
अदालत का कहना था कि बिना किसी ठोस प्रमाण के यह मान लेना कि फिल्म में जजों या वकीलों का अपमान किया जा रहा है, सही नहीं है।

र्ट ने स्पष्ट किया: फिल्म रिलीज से पहले कंटेंट सार्वजनिक करना कानूनन प्रतिबंधित
सिनेमैटोग्राफी एक्ट, 1952 के तहत अदालत ने कहा था कि किसी भी फिल्म का कंटेंट रिलीज से पहले सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। यदि फिल्म के किसी हिस्से को लेकर कोई आपत्ति हो, तो उस मामले में शिकायत और अपील का अधिकार सेंसर बोर्ड के पास है।
यह मामला तब उठा जब अजमेर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रभान राठौड़ ने आरोप लगाए कि ‘जॉली एलएलबी’ फ्रेंचाइजी की फिल्मों में न्यायपालिका की छवि को गलत तरीके से पेश किया गया है, जिससे जजों और वकीलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने मांग की थी कि इस बार भी ऐसे प्रयासों को रोकने के लिए फिल्म की शूटिंग पर रोक लगाई जाए।
इस विवाद के जवाब में फिल्म के प्रमुख कलाकार अक्षय कुमार, अरशद वारसी और निर्देशक सुभाष कपूर ने राजस्थान हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर कर अपनी पक्ष की दलीलें पेश कीं।
सेंसर बोर्ड के पास ही है फिल्म के कंटेंट की समीक्षा का अधिकार: हाईकोर्ट में बहस
हाईकोर्ट में अक्षय कुमार और अन्य पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ वकील आरके अग्रवाल ने यह तर्क दिया कि फिल्म के दृश्यों की जांच करने का अधिकार केवल सेंसर बोर्ड का है। उन्होंने बताया कि अगर सेंसर बोर्ड से प्रमाणित किसी फिल्म को लेकर आपत्ति होती है, तो उसका समाधान सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत रिवीजन या अपील प्रक्रिया से ही हो सकता है।
अग्रवाल ने यह भी कहा कि केवल अफवाह या संदेह के आधार पर किसी फिल्म की शूटिंग रोकना या कोर्ट के माध्यम से उसकी जांच करवाना उचित नहीं होगा। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि अजमेर में दायर याचिका को खारिज किया जाए।
दूसरी ओर, बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी कि वे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा की सुरक्षा चाहते हैं। उनका कहना था कि ‘जॉली एलएलबी’ के पिछले दो हिस्सों में न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचाया गया है। इसलिए उन्होंने सुझाव दिया कि जजों और वकीलों की एक समिति बनाकर फिल्म के संबंधित दृश्यों और अन्य जानकारी का विश्लेषण किया जाए।