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ताकि संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाया जा सके।

अंतरिक्ष में भारत की नई रक्षा रणनीति: 'बॉडीगार्ड सैटेलाइट'

अंतरिक्ष में बढ़ते खतरों और दुश्मन देशों की उपग्रह गतिविधियों को देखते हुए, भारत सरकार अपने उपग्रहों की सुरक्षा को और मजबूत करने की योजना बना रही है। मोदी सरकार अब विशेष "बॉडीगार्ड सैटेलाइट" विकसित करने की तैयारी में है। ये उपग्रह भारतीय सैटेलाइट की निगरानी और सुरक्षा करेंगे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता लगाकर उसका जवाब देंगे।

तत्काल कदम उठाने का कारण

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना को गति तब मिली जब 2024 के मध्य में एक पड़ोसी देश का उपग्रह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक सैटेलाइट के सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी से गुजरा। इस घटना ने अंतरिक्ष में भारत के उपग्रहों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी और इस नई रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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रक्षा के लिए नए टेक्नोलॉजी पर जोर

भारत सरकार अब स्टार्टअप्स के साथ मिलकर अंतरिक्ष में अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए काम कर रही है। इस रणनीति के तहत, LiDAR सैटेलाइट और ग्राउंड-बेस्ड रडार जैसे सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं।इन तकनीकों का उद्देश्य अंतरिक्ष में किसी भी खतरे को समय रहते पहचानना है, ताकि भारतीय सैटेलाइट्स को सुरक्षित स्थिति में ले जाया जा सके। इस तरह, संभावित टकरावों और खतरों से बचा जा सकेगा, जिससे उपग्रहों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

एयर मार्शल की चेतावनी: अंतरिक्ष में चीन का खतरा

जून में आयोजित सर्विलांस एंड इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स इंडिया सेमिनार में, एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने अंतरिक्ष सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को तेजी से बढ़ा रही है, जो भविष्य में भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।यह चेतावनी भारत के लिए अपनी अंतरिक्ष संपत्ति की सुरक्षा मजबूत करने की आवश्यकता को उजागर करती है।

4 साल में 52 विशेष रक्षा उपग्रहों का प्रक्षेपण

सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत अगले चार वर्षों यानी 2029 तक 52 विशेष रक्षा उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने का निर्णय लिया है। ये उपग्रह भारत की सुरक्षा के लिए 'अंतरिक्ष में आँख' का काम करेंगे, जो खास तौर पर पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर लगातार निगरानी रखेंगे।

एआई (AI) और तकनीकी क्षमता

ये सभी सैटेलाइट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस होंगे। ये एक-दूसरे से 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी संवाद स्थापित कर सकेंगे, जिससे पृथ्वी पर सिग्नल, संदेश और तस्वीरें भेजना बेहद आसान हो जाएगा।यह पूरा अभियान रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के अधीन चलाया जाएगा। इसके लिए सरकार ने 'स्पेस-बेस्ड सर्विलांस फेज-3' (SBS-3) नामक एक योजना तैयार की है, जिसके लिए ₹26,968 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इस योजना को अक्टूबर 2024 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी द्वारा मंजूरी दी गई थी।

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'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद योजना को मिली गति

'ऑपरेशन सिंदूर', जो 7 से 10 मई 2025 के बीच जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई थी, ने भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा रणनीति को गति दी है। इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सैटेलाइट्स और कुछ विदेशी कॉमर्शियल डेटा का उपयोग किया गया था।हालांकि, इस दौरान रियल टाइम ट्रैकिंग में कई कमियां उजागर हुईं, जिसने अधिकारियों को अपनी स्वदेशी अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता का एहसास कराया।

रक्षा अधिकारी की प्रतिक्रिया

एक अधिकारी ने ईटी को बताया, "हमें अपने फैसलों की गति तेज करनी होगी।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 52 रक्षा उपग्रहों को अंतरिक्ष में जल्द से जल्द स्थापित करना भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह कदम देश को भविष्य में होने वाली ऐसी किसी भी कार्रवाई में बेहतर निगरानी और डेटा प्रदान करने में मदद करेगा।

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