भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। सरकार ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक (National Sports Governance Bill) में RTI यानी सूचना के अधिकार से जुड़े नियमों में बदलाव किया है।
इस बदलाव के तहत अब सिर्फ वही खेल संस्थाएं RTI के तहत आएंगी, जो सरकार की फाइनेंशियल मदद यानी फंडिंग पर निर्भर होती हैं। चूंकि BCCI अपने खर्चों के लिए सरकार पर निर्भर नहीं है, इसलिए ये नया नियम उसे RTI की सीधी ज़द में नहीं लाता।
यह बिल केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने 23 जुलाई को लोकसभा में पेश किया। इसमें एक धारा 15(2) है, जो कहती है कि किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था को सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाएगा, लेकिन अब इसका दायरा सिर्फ उन्हीं संस्थाओं तक सीमित रहेगा जो सरकारी सहायता लेती हैं।
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, बिल में संशोधन करके यह साफ किया गया है कि “पब्लिक अथॉरिटी” वही संस्था मानी जाएगी जो आर्थिक रूप से सरकार से सहायता लेती हो। इस बदलाव से नियम ज्यादा स्पष्ट हुए हैं, और कानूनी उलझनों से बचा जा सकेगा।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अगर कोई खेल संस्था भले ही सीधी आर्थिक मदद न ले, लेकिन यदि उसने इन्फ्रास्ट्रक्चर या आयोजन के लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद ली है, तो भी सवाल उठ सकते हैं।
BCCI का कहना है कि वह विधेयक की पूरी भाषा और नियम पढ़ने के बाद ही इस पर कोई आधिकारिक बयान देगा।
इसके अलावा, चूंकि क्रिकेट को अब ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है (2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक), इसलिए BCCI को खुद को नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF) के रूप में रजिस्टर कराना होगा। एक बार नया प्राधिकरण बन जाने के बाद, उसके फैसले को केवल सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी, क्योंकि उसके पास सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ होंगी।