collapse
...

भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग रोकने की मांग, ट्रकों को रोका

hjggjh.jpg

संयुक्त नगा परिषद (यूएनसी) ने केंद्र सरकार के फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) को खत्म करने और 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले के विरोध में "व्यापार प्रतिबंध" शुरू कर दिया है।एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यूएनसी ने घोषणा की है कि किसी भी व्यावसायिक सामान को सड़कों से गुजरने नहीं दिया जाएगा। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 37 पर, जो नागा-प्रधान क्षेत्रों से गुजरते हैं, ट्रकों को रोक दिया है।

प्रभावित क्षेत्र और मांगें

इस नाकाबंदी से सेनापति, उखरुल और तमेंगलॉन्ग जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, जिससे मणिपुर के अन्य हिस्सों, जैसे केंद्रीय घाटी और दक्षिणी कुकी-प्रधान पहाड़ी क्षेत्रों में आपूर्ति बाधित हो गई है।यूएनसी 26 अगस्त 2025 को केंद्र के साथ हुई असफल बैठक के बाद से नाराज है, क्योंकि उनकी चिंताओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। यूएनसी ने मांग की है कि:

  1. नागा-प्रधान क्षेत्रों में सीमा पर बाड़ लगाने का काम रोका जाए।
  2. फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) को बहाल किया जाए।
  3. नागा शांति प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाए।

प्रधानमंत्री मोदी का संभावित मणिपुर दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को मणिपुर का दौरा कर सकते हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। पीएम मिजोरम में एक रेलवे प्रोजेक्ट का उद्घाटन भी करेंगे। यह मई 2023 में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद मणिपुर का उनका पहला दौरा होगा।मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।पीएम के दौरे की तैयारियों को देखते हुए, जिला मजिस्ट्रेट धरुण कुमार ने चुराचांदपुर जिले को गुरुवार के लिए नो-ड्रोन जोन घोषित किया है। आदेश के तहत, बिना सरकारी अनुमति के जिले की सीमा में कोई भी ड्रोन, यूएवी या अन्य उड़ने वाले यंत्र उड़ाना प्रतिबंधित है। चुराचांदपुर एक कुकी बहुल क्षेत्र है जो मिजोरम से सटा हुआ है।

gvjvvb.jpg

क्यों महत्वपूर्ण हैं NH-2 और NH-37?

NH-2 और NH-37 हाईवे मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये दोनों हाईवे इस क्षेत्र की आर्थिक और रणनीतिक जीवनरेखा माने जाते हैं।

  • NH-2: यह हाईवे नगालैंड के दीमापुर को मणिपुर की राजधानी इंफाल से जोड़ता है। यह मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम का बाकी भारत से संपर्क बनाए रखता है। मणिपुर में खाने-पीने का सामान, दवाइयाँ, ईंधन और व्यापारिक वस्तुएँ इसी हाईवे से आती-जाती हैं।
  • NH-37: यह हाईवे असम के बदरपुर से इंफाल को जोड़ता है। यह क्षेत्रीय परिवहन और व्यापार को सुगम बनाता है।

ये दोनों हाईवे केवल व्यापार के लिए ही नहीं, बल्कि सेना और सुरक्षा बलों की आवाजाही के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। ये पूर्वोत्तर राज्यों के बीच व्यापार, पर्यटन और आपसी जुड़ाव को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

gghhbvbh.jpg

मणिपुर हिंसा की मुख्य वजहें (4 पॉइंट्स में)

  1. जनसांख्यिकी और समुदाय: मणिपुर की आबादी लगभग 38 लाख है, जिसमें तीन प्रमुख समुदाय शामिल हैं: मैतेई, नगा और कुकी।
    • मैतेई: ज्यादातर हिंदू हैं, इनकी आबादी करीब 50% है। ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 10% है।
    • नगा और कुकी: ये ईसाई धर्म को मानते हैं। इनकी आबादी लगभग 34% है और ये राज्य के 90% पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।
  2. मैतेई समुदाय की जनजाति दर्जे की मांग: मैतेई समुदाय लंबे समय से खुद को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग कर रहा है। उनका तर्क है कि 1949 में मणिपुर के भारत में विलय से पहले उन्हें जनजाति माना जाता था। उन्होंने इस मांग को लेकर मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई को ST में शामिल करने की सिफारिश की। इस सिफारिश ने हिंसा को और भड़काया।
  3. नगा-कुकी समुदाय का विरोध: नगा और कुकी समुदाय इस मांग का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मैतेई पहले से ही राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटों पर बहुमत में हैं। अगर उन्हें ST का दर्जा मिल जाता है, तो उनके अधिकार और आरक्षण का बंटवारा होगा, जिससे उन्हें नुकसान होगा।
  4. ऐतिहासिक और राजनीतिक समीकरण: मैतेई समुदाय का तर्क है कि उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी को युद्ध के लिए बुलाया था, जिसके बाद वे यहीं बस गए और अब वे अवैध रूप से जंगल काटकर अफीम की खेती करते हैं, जिससे मणिपुर ड्रग तस्करी का केंद्र बन गया है। राजनीतिक रूप से, राज्य के 60 विधायकों में से 40 मैतेई हैं और केवल 20 नगा-कुकी। अब तक बने 12 मुख्यमंत्रियों में से सिर्फ दो ही जनजाति से रहे हैं, जो सत्ता में मैतेई समुदाय के दबदबे को दर्शाता है।

     

 


Share: