चंडीगढ़, 24 सितंबर 2025 - भारतीय वायुसेना का एक लंबा सफर तय करने वाला और कई लड़ाइयों में भारत का साथ देने वाला लड़ाकू विमान मिग-21 आखिरकार अपनी आखिरी उड़ान भरने जा रहा है। इसका विदाई समारोह 26 सितंबर को चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक क्षण में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी के साथ स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा मिग-21 को उड़ा सकते हैं।इस विदाई समारोह से पहले 24 सितंबर को रिहर्सल की गई। इस समारोह में मिग-21 के साथ-साथ जगुआर और स्वदेशी तेजस हल्के लड़ाकू विमान (LCA MK-1) भी शामिल होने वाले हैं।मिग-21 को 1963 में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था, जिसका मतलब है कि यह ध्वनि की गति से भी तेज उड़ान भर सकता था। इस विमान ने 1965 और 1971 के युद्धों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कारगिल युद्ध में दुश्मनों को कड़ी टक्कर दी। हालांकि, आज की आधुनिक तकनीक के सामने अब इसके पंख कमजोर हो चुके हैं, और यह अपनी सेवा से रिटायर होने के लिए तैयार है।

मिग-21 के नाम से जानते हैं, अपनी 62 साल की शानदार सेवा के बाद भारतीय वायुसेना से विदा ले रहा हूँ। मेरा चंडीगढ़ शहर से एक गहरा नाता है, जो लगभग छह दशकों से चला आ रहा है। मेरा सफर इसी शहर से शुरू हुआ और अब यहीं खत्म हो रहा है।1962 के भारत-चीन युद्ध और पाकिस्तान को अमेरिका से मिले F-104 स्टारफाइटर्स के खतरे को देखते हुए, भारत को एक शक्तिशाली लड़ाकू विमान की सख्त जरूरत थी। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए सोवियत संघ (अब रूस) ने 1963 में मेरा पहला बेड़ा भारत भेजा।जनवरी 1963 में मैं टुकड़ों में समुद्री रास्ते से मुंबई (तब बॉम्बे) पहुंचा, जहाँ सोवियत इंजीनियरों ने मुझे जोड़ा। अप्रैल 1963 में, मुझे आगरा के रास्ते चंडीगढ़ लाया गया। उस समय के विंग कमांडर दिलबाग सिंह मुझे ताशकंद से उड़ाकर चंडीगढ़ ला रहे थे, तो मेरी रफ्तार इतनी तेज थी कि मैंने साउंड बैरियर तोड़ दिया था। यहीं पर मेरी पहली स्क्वाड्रन बनी और यहीं पर पायलटों को मेरे साथ उड़ान भरने की ट्रेनिंग दी गई।

2 मार्च 1963 को विंग कमांडर दिलबाग सिंह की कमान में, नंबर 28 स्क्वाड्रन का गठन हुआ, जिसे 'फर्स्ट सुपरसोनिक्स' कहा जाता था। हम छह मिग-21 इस स्क्वाड्रन का हिस्सा थे। मेरे जीवन की पहली दुर्घटना भी यहीं हुई। गणतंत्र दिवस परेड की रिहर्सल के दौरान, दो मिग-21 हवा में आपस में टकरा गए। शुक्र है कि दोनों पायलट, स्क्वाड्रन लीडर एमएसटी वॉलेन और फ्लाइट लेफ्टिनेंट एके मुखर्जी, सुरक्षित बच गए।
जंग के मैदान में मेरी भूमिका
1965 और 1971 के युद्धों में मैंने खुद को साबित किया। 1971 तक मेरी आठ स्क्वाड्रन तैयार हो चुकी थीं। 1960 के दशक के अंत में, चंडीगढ़ में नंबर 45 स्क्वाड्रन मेरे पायलटों के लिए प्राइमरी ट्रेनिंग यूनिट बन गई। 1968 से एयर कमोडोर सुरेंद्र सिंह त्यागी ने 4,306 घंटे की ट्रेनिंग की। 1986 में श्रीनगर जाने से पहले, नंबर 51 स्क्वाड्रन 1 फरवरी 1985 को चंडीगढ़ में ही बनी थी। मेरी आखिरी एक्टिव यूनिट, नंबर 23 स्क्वाड्रन – 'पैंथर्स' की ट्रेनिंग भी यहीं हुई।कारगिल युद्ध में, चंडीगढ़ से प्रशिक्षित स्क्वाड्रन ने वायु रक्षा और हवाई हमले में बेहतरीन भूमिका निभाई। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान, जिन्होंने अपने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था, वह भी इसी स्क्वाड्रन का हिस्सा थे।
'उड़ता ताबूत' की पहचान और विदाई
अपने लंबे सफर में, मैंने कई दुर्घटनाओं का सामना भी किया, जिसके कारण मुझे 'उड़ता ताबूत' जैसी पहचान मिली। 2002 में जालंधर में हुई एक दुर्घटना में आठ नागरिक मारे गए, जिसके बाद मेरी उड़ानें रोक दी गईं। संसद में भी मुझे धीरे-धीरे सेवा से बाहर करने की मांग उठी।अब, मैं अपनी आखिरी उड़ान भरने के लिए तैयार हूँ। मुझे अलविदा कहते हुए गर्व है कि मैंने भारतीय वायुसेना की सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मेरे भविष्य के बारे में कहा जा रहा है कि मुझे UAV (अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स) जैसे ड्रोनों के लिए टारगेट या डिकॉय के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय वायुसेना का 93 साल का गौरवशाली इतिहास है, जिसमें मैंने 62 साल तक सेवा दी। लेकिन आज की तेज रफ्तार से बदलती टेक्नोलॉजी का बोझ अब मेरे पुराने पंख नहीं उठा पा रहे हैं। अब सुखोई, राफेल और तेजस जैसे नए विमानों का समय है।
"टच द स्काई विद ग्लोरी... जय हिंद!"
अपने लंबे सफर में, मैंने कई दुर्घटनाएं भी देखीं। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 400 से ज्यादा मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिनमें 200 से अधिक पायलट शहीद हुए हैं। यही वजह है कि मुझे 'उड़ता ताबूत' और 'विडो मेकर' जैसे नाम भी दिए गए।
2021 के बाद मिग-21 के 7 बड़े क्रैश:
- 5 जनवरी 2021: राजस्थान के सूरतगढ़ में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। पायलट सुरक्षित बच गए।
- 17 मार्च 2021: मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास एक मिग-21 बाइसन प्लेन क्रैश हुआ, जिसमें एक ग्रुप कैप्टन की मौत हो गई।
- 20 मई 2021: पंजाब के मोगा में क्रैश हुआ, जिसमें पायलट की जान चली गई।
- 25 अगस्त 2021: राजस्थान के बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। पायलट खुद को बचाने में सफल रहे।
- 25 दिसंबर 2021: राजस्थान में एक और मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ, जिसमें एक पायलट शहीद हो गया।
- 28 जुलाई 2022: राजस्थान के बाड़मेर में दुर्घटना हुई, जिसमें दो पायलटों की जान चली गई।
- 8 मई 2023: राजस्थान के हनुमानगढ़ में मिग-21 विमान क्रैश हुआ। पायलट सुरक्षित बच गए।
आज मैं विदा ले रहा हूँ, लेकिन भारतीय वायुसेना में मेरी विरासत हमेशा जिंदा रहेगी। मेरे सम्मान में चंडीगढ़ के IAF हेरिटेज म्यूजियम में मुझे संरक्षित किया गया है।
