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वह पूर्व पीएम शिंजो आबे की करीबी हैं और उनके साथ 5 साल में 5वीं बार लीडरशिप में बदलाव हुआ है।

जापान में सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने सानाए ताकाइची को अपना नया अध्यक्ष चुना है, जिसके साथ ही जापान को पहली महिला प्रधानमंत्री मिलने का रास्ता साफ हो गया है।चूंकि जापान में जिस पार्टी को संसद में बहुमत मिलता है, उसी का अध्यक्ष प्रधानमंत्री बनता है, इसलिए ताकाइची का अगला प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है।

शिंजो आबे की करीबी और चीन विरोधी छवि

  • शिंजो आबे का समर्थन: ताकाइची को पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का करीबी माना जाता है, जो जापान में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे थे।
  • चीन विरोधी: उनकी पहचान जापान की प्रमुख चीन विरोधी नेताओं में से एक के रूप में होती है।
  • नेतृत्व परिवर्तन: ताकाइची जापान की पाँचवीं नेता होंगी, जो पिछले पाँच साल में चौथी बार प्रधानमंत्री का पद संभालेंगी। यह हाल के वर्षों में जापान की नेतृत्व में तेजी से हो रहे बदलाव को दर्शाता है।

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सानाए ताकाइची ने सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के अध्यक्ष पद का चुनाव जीतकर जापान की अगली प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ कर लिया है।

  • किसे हराया? ताकाइची ने पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइजुमी के बेटे को हराकर यह चुनाव जीता। यह वही कोइजुमी हैं जो वर्तमान में देश के कृषि मंत्री हैं।
  • पीएम बनने की प्रक्रिया: ताकाइची को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री बनाने के लिए जल्द ही संसद में वोटिंग होगी।
  • शिगेरु इशिबा की जगह: वह प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की जगह लेंगी, जिनका विरोध जुलाई में हुए ऊपरी सदन के चुनाव में पार्टी की हार के बाद बढ़ गया था।

    LDP अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को पहले दौर में पूर्ण बहुमत नहीं मिला:

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    ताकाइची के सामने चुनौतियाँ

    LDP ने ताकाइची को ऐसे समय में चुना है जब पार्टी एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही है:

  • जनता की नाराजगी: देश में बढ़ती महंगाई को लेकर जनता में काफी नाराजगी है, जिसके चलते लोग विपक्षी पार्टियों का समर्थन करने लगे हैं।
  • पार्टी की उम्मीदें: LDP को उम्मीद है कि ताकाइची के नेतृत्व में वह जनता का समर्थन वापस हासिल कर पाएगी और सत्ता में बनी रहेगी।
  • ताकाइची की प्रतिक्रिया: चुनाव जीतने के बाद, ताकाइची ने कहा, "मैं खुश होने के बजाय यह सोच रही हूँ कि आगे का रास्ता कितना मुश्किल होने वाला है।"

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    जापान की पहली संभावित महिला प्रधानमंत्री सानाए ताकाइची अपने रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी विचारों के लिए जानी जाती हैं। यहाँ उनके कुछ प्रमुख राजनीतिक स्टैंड दिए गए हैं:

    व्यापार और विदेश नीति

  • ट्रम्प के साथ ट्रेड डील पर विरोध: ताकाइची हाल ही में हुए ट्रम्प प्रशासन के साथ ट्रेड डील की विरोधी हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से मांग की है कि इस व्यापार समझौते पर फिर से बातचीत की जानी चाहिए।
  • निवेश पर सहमति: इस डील के तहत जापान ने अमेरिका में $550 बिलियन का निवेश करने का वादा किया था।

    सामाजिक और राजशाही पर रुख

  • समलैंगिक विवाह का विरोध: ताकाइची समलैंगिक विवाह (Same-Sex Marriage) का विरोध करती हैं। उनका मानना है कि यह पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को कमजोर करता है।
  • राजशाही का समर्थन: वह जापान में पुरुष राजा के शासन की समर्थक हैं और रानी के शासन (महिला को सम्राट बनाने) के खिलाफ हैं।
  • सख्त आव्रजन नियम: ताकाइची ने जापान में विदेशियों के आने के नियमों को सख्त करने की भी मांग की है। उनका मानना है कि अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

    व्यक्तिगत जीवन

  • विवाह और तलाक: ताकाइची ने 2004 में प्रतिनिधि सभा के एक सदस्य ताकू यामामोटो से शादी की थी।
  • राजनीतिक मतभेद: जुलाई 2017 में, दोनों ने राजनीतिक मतभेदों के चलते तलाक ले लिया था।
  • फिर से साथ: हालांकि, दिसंबर 2021 में उन्होंने अपनी शादी को फिर से शुरू किया। इसके बाद ताकू यामामोटो ने अपना उपनाम (सरनेम) बदलकर ताकाइची कर लिया था।

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PM शिगेरू इशिबा का कार्यकाल और इस्तीफा

प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने सितंबर 2024 में पद संभाला था, लेकिन उनका कार्यकाल केवल एक साल तक चला। उन्हें 7 सितंबर 2025 को इस्तीफा देना पड़ा।

कार्यकाल और असफलताएँ

'आउटसाइडर' लीडर: इशिबा पार्टी में ऐसे नेता थे जिनका कोई 'गॉडफादर' या राजनीतिक संरक्षक नहीं था। उन्होंने देश की महंगाई और आर्थिक समस्याओं को ठीक करने का वादा किया था।

चुनावी हार का झटका: उनका कार्यकाल चुनौतियों से भरा रहा, जिसकी शुरुआत अक्टूबर 2024 के निचले सदन चुनाव में हार से हुई। इसके बाद, जुलाई 2025 के ऊपरी सदन चुनाव में भी पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इस परिणाम से LDP-कोमेइतो गठबंधन ने 1955 के बाद पहली बार दोनों सदनों में बहुमत खो दिया।

इस्तीफा और कारण

पार्टी के भीतर दबाव: लगातार चुनावी हार के बाद पार्टी के अंदरूनी सदस्य इशिबा पर इस्तीफे का दबाव बनाने लगे। इन आलोचकों का तर्क था कि इशिबा 'बहुत उदार' थे, जबकि पार्टी को एक अधिक रूढ़िवादी (कंजर्वेटिव) लीड की ज़रूरत थी।

इस्तीफा: 7 सितंबर 2025 को इशिबा ने इस्तीफा देते हुए कहा, "मैं पार्टी में फूट नहीं चाहता।" उन्होंने यह भी कहा कि वह अब नई पीढ़ी को मौका देंगे।

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प्रधानमंत्री पद की दावेदार सानाए ताकाइची ने अपने एक कदम से विवादों को जन्म दिया था। उन्होंने अपनी दावेदारी से ठीक पहले यासुकुनी तीर्थ स्थल का दौरा किया था।

यासुकुनी तीर्थ और विवाद

  • स्थापना और उद्देश्य: यह तीर्थ स्थल 1869 में जंग में मारे गए जापानी सैनिकों की आत्माओं को सम्मानित करने के लिए बनाया गया था। यह राजधानी टोक्यो में स्थित है और माना जाता है कि यहाँ 25 लाख जापानी सैनिकों की आत्माएं हैं।
  • विवाद का कारण: इस स्थल पर द्वितीय विश्व युद्ध (WWII) में दोषी ठहराए गए युद्ध अपराधियों को भी सम्मानित किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: चीन और दक्षिण कोरिया इस स्थल को जापानी साम्राज्यवाद के प्रतीक के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने जो अत्याचार किए थे (जैसे नानकिंग नरसंहार, जबरन श्रमिकों का शोषण और यौन गुलामी), उनका महिमामंडन किया जा रहा है।
  • नेताओं के दौरे पर नाराजगी: जब भी जापान का कोई प्रधानमंत्री यासुकुनी का दौरा करता है, तो चीन और दक्षिण कोरिया इसे जापानी सैनिकों की क्रूरता को सही ठहराने के रूप में लेते हुए नाराजगी व्यक्त करते हैं।

ताकाइची का दौरा

ताकाइची ने प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से पहले 15 अगस्त को यासुकुनी तीर्थ स्थल का दौरा किया था, जिस कारण इस कदम की काफी चर्चा हुई थी। यह दौरा उनकी रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी छवि को दर्शाता है।


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