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कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश में भी बैन; कंपनी के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध।

छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत के बाद, कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) कफ सिरप को तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश में भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। बच्चों की मौत किडनी फेल होने की वजह से हुई, जिसका कारण इन्हीं सिरप का सेवन माना जा रहा है।मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इस कार्रवाई की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस सिरप की बिक्री पर पूरे राज्य में रोक लगा दी गई है और इसके निर्माता कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की जा रही है।

कार्रवाई और जांच

  • बैन का कारण: बच्चों को स्थानीय डॉक्टरों की सलाह पर ये कफ सिरप दिए गए थे।
  • जांच: बच्चों की मौत के बाद मामले की जांच के लिए तीन टीमें बनाई गईं।
  • कड़ा एक्शन: सिरप बनाने वाली फैक्ट्री तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार से जांच के लिए अनुरोध किया था, जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद यह कड़ा कदम उठाया गया है।

    छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत के मामले में यह बात सामने आई है कि उन्हें स्थानीय डॉक्टरों द्वारा कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) सिरप लिखे गए थे, जबकि 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस फॉर्मूले वाली दवाओं के इस्तेमाल पर पहले ही चेतावनी जारी की जा चुकी थी।

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    स्वास्थ्य चेतावनी की अनदेखी

  • 2023 में DGHS की चेतावनी: डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS) ने वर्ष 2023 में ही सभी राज्यों को पत्र भेजकर स्पष्ट किया था कि इस विशिष्ट फॉर्मूले की दवाएं 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए।
  • मृत बच्चों की उम्र: जिन 9 मासूमों की दुखद मौत हुई है, उनमें से 7 बच्चे 4 साल या उससे कम उम्र के थे, और बाकी 2 बच्चे 5 साल के थे। इससे स्पष्ट होता है कि डॉक्टरों द्वारा इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य दिशानिर्देश की अनदेखी की गई।

    सप्लाई चेन और वितरण

  • जबलपुर से सप्लाई: जांच में पता चला है कि प्रतिबंधित कोल्ड्रिफ सिरप की सप्लाई जबलपुर से की गई थी।
  • तत्काल प्रतिबंध: मामले की गंभीरता को देखते हुए, जबलपुर कलेक्टर ने पहले ही कोल्ड्रिफ सिरप और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • केवल छिंदवाड़ा में डिमांड: श्री सन फार्मा कंपनी के मैनेजर की मांग पर, महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल द्वारा इन कफ सिरप की सप्लाई की जाती थी। एक चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ है कि कोल्ड्रिफ सिरप की मांग पूरे महाकौशल क्षेत्र में सिर्फ छिंदवाड़ा से ही आती थी।

    सप्लाई चेन का खुलासा: कोल्ड्रिफ सिरप की 660 बोतलें मंगवाई गईं

    छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के बाद हुई जांच में कोल्ड्रिफ सिरप (Coldrif Syrup) की सप्लाई चेन का विवरण सामने आया है।

    कितनी बोतलें मंगवाई गईं? महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल ने सितंबर माह में चेन्नई स्थित कंपनी श्री सन फार्मा से कोल्ड्रिफ सिरप की 660 बोतलें मंगवाई थीं।

  • छिंदवाड़ा में वितरण: इन 660 बोतलों में से 594 बोतलें सीधे छिंदवाड़ा की तीन मेडिकल शॉप्स—आयुष फार्मा, न्यू अपना फार्मा और जैन मेडिकल एवं जनरल स्टोर—को सप्लाई की गईं।
  • शेष स्टॉक: बाकी 66 बोतलें डीलर ने अपने कार्यालय में स्टॉक के रूप में रखी थीं।

    डीलर और सप्लाई का क्षेत्र

    ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर (DI) शरद कुमार जैन ने नौदरा ब्रिज स्थित कटारिया फार्मास्यूटिकल के कार्यालय की जाँच की।

  • एकमात्र डीलरशिप: इंस्पेक्टर जैन ने बताया कि महाकौशल क्षेत्र में श्री सन फार्मा कंपनी की यह एकमात्र डीलरशिप थी।
  • सीमित सप्लाई: इस कंपनी का कोल्ड्रिफ सिरप मध्य प्रदेश में कहीं और सप्लाई नहीं किया जाता था। छिंदवाड़ा में भी यह सिरप केवल इन्हीं तीन मेडिकल शॉप्स पर भेजा जाता था।

छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत के पीछे का सही कारण—यानी कफ सिरप में मिलावट थी या कोई अन्य वजह—पता लगाने के लिए केंद्र और राज्य स्तर की तीन अलग-अलग टीमें जाँच कर रही हैं।

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1. CDSCO (केंद्रीय) टीम की जाँच

  • CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन), दिल्ली की टीम सिरप की मैन्युफैक्चरिंग (निर्माण) प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
  • इस टीम ने दो स्थानों पर डेरा डाला है:
    • एक टीम चेन्नई में, जहाँ सिरप का निर्माण होता था।
    • दूसरी टीम छिंदवाड़ा में, जहाँ बच्चों की मौतें हुई हैं।

2. स्टेट ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर बनी टीम

यह जाँच टीम स्टेट ड्रग कंट्रोलर के निर्देशों पर गठित की गई है।

  • टीम के सदस्य: इसमें जबलपुर के डीआई (ड्रग इंस्पेक्टर) शरद कुमार जैन और देवेंद्र कुमार जैन, बालाघाट के स्वप्निल सिंह, और छिंदवाड़ा के वैष्णवी तलवारे और गौरव शर्मा शामिल हैं।
  • रिपोर्ट की समय सीमा: यह टीम 7 दिन के भीतर अपनी जाँच पूरी कर रिपोर्ट भोपाल मुख्याल में सौंपेगी।

 CMHO (जिला) टीम की जाँच

छिंदवाड़ा के सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) के निर्देश पर एक तीसरी टीम काम कर रही है।इस टीम का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि बैन किए गए सिरप को अब तक कितने अन्य बच्चों ने उपयोग किया है, ताकि संभावित खतरों से बचा जा सके।

4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सिरप प्रतिबंधित

इस मामले में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS), जो कि सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) के तहत आता है, ने पहले ही इस फॉर्मूले की दवा को लेकर चेतावनी जारी कर दी थी।

  • जारी हुई चेतावनी: 18 दिसंबर 2023 को ड्रग कंट्रोलर द्वारा सभी राज्यों को एक पत्र भेजा गया था।
  • प्रतिबंधित फॉर्मूला: पत्र में साफ तौर पर बताया गया था कि क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट आईपी 2एमजी प्लस फिनाइलेफ्राइन एचसीएल 5 एमजी ड्रॉप (जिस फॉर्मूले का इस्तेमाल कोल्ड्रिफ सिरप में होता है) 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जा सकती है।
  • अनिवार्य चेतावनी: इसके साथ ही, सिरप बनाने वाली सभी फार्मा कंपनियों को निर्देश दिया गया था कि वे दवा के लेबल पर यह चेतावनी अनिवार्य रूप से लिखें।

यह दर्शाता है कि छिंदवाड़ा में बच्चों को दी गई दवा के इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया था।

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जांच एजेंसियाँ सक्रिय: केंद्र और राज्य की टीमों का एक्शन

छिंदवाड़ा मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य की कई प्रमुख एजेंसियाँ जाँच में सक्रिय रूप से शामिल हो गई हैं।

केंद्रीय टीम की जाँच: DEG/EG नहीं मिला

  • संयुक्त टीम: राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम ने घटनास्थल का दौरा किया।
  • सैंपल कलेक्शन: टीम ने राज्य के अधिकारियों के साथ मिलकर कफ सिरप सहित कुल 6 सैंपल एकत्र किए।
  • जांच रिपोर्ट: इन सैंपल की शुरुआती जांच रिपोर्ट में किसी भी नमूने में जहरीले रसायन डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) की मौजूदगी नहीं पाई गई है।

राज्य टीम की कार्रवाई: 13 सैंपल एकत्र

  • SFDA द्वारा कार्रवाई: राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (SFDA) ने भी अपनी ओर से कुल 13 सैंपल एकत्र किए हैं।
  • रिपोर्ट का इंतज़ार:
    • इनमें से सिर्फ 3 सैंपल—डीफ्रोस्ट (Defrost) सिरप, वॉक्स एमडीएस (Vox MDS) सिरप, और आल्टो ई (Alto E) सिरप—की रिपोर्ट ही सामने आई है।
    • मुख्य सिरप कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा-डीएस (Nexa-DS) के साथ-साथ 8 अन्य सैंपल की जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।

जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चों की मौत के वास्तविक और अंतिम कारण की पुष्टि हो पाएगी।

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कफ सिरप मामले की निगरानी के लिए संयुक्त टीम गठित

छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के मामले की गंभीरता को देखते हुए, केंद्र और राज्य सरकार के प्रमुख विभागों की एक संयुक्त उच्च-स्तरीय टीम का गठन किया गया है।एसएफडीए (राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में निम्नलिखित प्रमुख संस्थाओं के अधिकारी मौजूद थे:

  • राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC)
  • राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV)
  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)
  • मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग
  • राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (SFDA)

इस मीटिंग का उद्देश्य मामले की संपूर्ण और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करना और आगे की कार्रवाई की रणनीति बनाना है, जिसके तहत यह संयुक्त टीम काम करेगी।

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दवा विक्रेता का मत: ‘जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालना उचित नहीं’

जबलपुर केमिस्ट एसोसिएशन के पूर्व सचिव चंद्रेश जैन ने इस दुखद घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि:

  • दवाएं जीवनरक्षक होती हैं: उनका कहना है कि दवाएं लोगों की जान बचाने के लिए होती हैं, इसलिए किसी दवा के सेवन से मौत होने के कारण को आसानी से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है।
  • जल्दबाजी से बचने की सलाह: जैन का मानना है कि जिस सिरप (कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस) के कारण बच्चों की मौत की बात सामने आ रही है, उस पर अभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाजी होगी। उनका यह बयान जाँच पूरी होने तक संयम बनाए रखने का संकेत देता है।

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